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बीसीसीएल के पूर्व सीएमडी अजय कुमार सिंह ने खटखटाया हाईकोर्ट का दरवाजा, अपनी बर्खास्तगी को रद्द करने की मांग
सांकतोड़िया : अपेक्षा के अनुरूप बीसीसीएल के पूर्व अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक (सीएमडी) अजय कुमार सिंह ने सीएमडी के पद से उन्हें हटाये जाने के कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) के निर्णय को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में यचिका दायर किया है. मालूम हो कि इसीएल के सालानपुर क्षेत्र में फोरक्लोजर के मामले में उन्हें […]
सांकतोड़िया : अपेक्षा के अनुरूप बीसीसीएल के पूर्व अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक (सीएमडी) अजय कुमार सिंह ने सीएमडी के पद से उन्हें हटाये जाने के कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) के निर्णय को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में यचिका दायर किया है. मालूम हो कि इसीएल के सालानपुर क्षेत्र में फोरक्लोजर के मामले में उन्हें दोषी मानते हुए उन्हें सीएमडी के पद से हटा दिया गया है तथा उन्हें उनकी पैतृक कंपनी इसीएल में महाप्रबंधक के पद पर योगदान करने का निर्देश दिया गया है.हालांकि उन्होंने महाप्रबंधक के पद पर योगदान नहीं किया है.
पूर्व सीएमडी श्री सिहं ने ईसीएल में लंबे अरसे तक कार्य किया है. उन्होंने विभिन्न एरिया में महाप्रबंधक के दायित्व का निर्वाह किया. फिर ईसीएल में ही तकनीकी निदेशक (योजना व परियोजना) के पद पर उनकी नियुक्ति हुई. कुछ महीने बाद ही सितंबर, 2017 में वे बीसीसीएल के सीएमडी बने. उन्होने ईसीएल में भी प्रभारी सीएमडी के रूप में काम किया.
सनद रहे कि इसके पहले इसीएल के पूर्व सीएमडी सुब्रत चक्रवर्ती को भी हाई कोर्ट में जाना पड़ा था. सीएमडी के पद पर चयन होने के बाद भी उन्हें योगदान करने का क्लीयरेंस नहीं मिला. उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर की तथा कोर्ट के आदेश पर सीएमडी के पद पर योगदान किया.
सूत्रों ने कहा कि श्री सिंह ने अपनी बर्खास्तगी के लिए बनाये गये तथ्यों को चुनौती दी है तथा बर्खास्तगी के निर्णय को रद्द करने की मांग की है. सनद रहे कि फोर क्लोजर के कई मामले इसीएल में भी है. इसके साथ ही बीसीसीएल मे भी कई मामले हैं. सीवीसी तथा संसदीय समिति ने कई पूर्व तथा मौजूदा कोल अधिकारियों को दोषी बताते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की है. लेकिन अभी तक श्री सिंह के खिलाफ ही कार्रवाई हुई है. श्री सिंह संभवत: मार्च 2020 में सेवानिवृत्त होंगे.
सूत्रों के अनुसार हाई कोर्ट के न्यायाधीश डॉ एसएन पाठक की अदालत में पूर्व सीएमडी श्री सिंह की याचिका पर आंशिक सुनवाई हुई. कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई से स्वयं को अलग करते हुए मामले को किसी दूसरे बेंच में स्थानांतरित करने का आदेश दिया. याचिका में कहा गया है कि सीआईएल ने आदेश जारी करने के पहले उनका पक्ष भी नहीं सुना. यह नेचुरल जस्टिस का उल्लंघन है.
फील्ड में भेजे जायेंगे मुख्यालय में जमे कोयला अधिकारी
सांकतोड़िया : शारीरिक अस्वस्थता का बहाना बनाकर कंपनी मुख्यालय में लंबे अरसे से जमे कोयला अधिकारियों को फील्ड में भेजा जायेगा. इसके लिए कोल इंडिया ने पने स्तर पर ऐसे अधिकारियों की सूची तैयार कर ली गई है. उत्पादन लक्ष्य हासिल करने के दबाव के कारण फिलहास तबादले नहीं किये जा रहे हैं. अधिक उम्र हो चुके अधिकारियों को कार्यमुक्त भी किया जा सकता है. कार्यालय में पदस्थ रहने से इनका परफॉरमेंस भी खराब हो गया है. ईसीएल समेत कोल इंडिया लिमिटेड की सभी अनुषांगिक कंपनियां- सीसीएल, सीएमपीडीआइ, एसईसीएल, बीसीसीएल, डब्ल्यूसीएल, एमसीएल, एनसीएल व एससीसीएल में लगभग 18 हजार अधिकारी विभिन्न श्रेणी एवं पद पर कार्यरत हैं.
इनके कामकाज की समीक्षा करने के लिए केंद्र सरकार ने सीआइएल एवं डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक इंटरप्राइजेस को निर्देशित किया है. सीआइएल प्रबंधन ने कमेटी बना कर ऐसे अधिकारियों को चिन्हित करना शुरू किया. मेटी ने सबसे पहले ऐसे अधिकारियों को टारगेट में लिया, जो कंपनी मुख्यालय में लंबे समय से जमे हैं.
कई अधिकारी ऐसे हैं, जो लंबे समय से शारीरिक अस्वस्थता का बहाना बना कर कार्यालय में जमे हुए हैं. इससे अधिकारियों को प्रदर्शन भी खराब हो गया है. अस्वस्थ होने की वजह से दायित्व निर्वाह्न में भी दिक्कत हो रही है. फील्ड में कार्य कर अनुभव लेने वाले ई-टू से ई-फोर ग्रेड के अधिकारी कार्यालय में बीमारी बता काम कर रहे हैं. इनमें से कई की उम्र 50 वर्ष से अधिक हो चुकी है. कमेटी ने ऐसे अधिकारियों की सूची तैयार कर ली है और कई अधिकारियों को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण भी मांगा गया है.
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