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पूर्व अनुभवों से सहमे-सहमे हैं चुनावकर्मी

सांकतोड़िया : त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में इसीएल के विभिन्न कोलियरियो से सैंकड़ों कर्मियों को चुनाव कार्य के लिए लिया गया है. जिन्हे चुनाव संपन्न कराने के लिए विभिन्न मतदान केन्द्रों पर भेजा जायेगा. इनमें से कईयों ने अपने पूर्व के अनुभवों के आधार पर बताया कि चुनाव कार्य में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता […]

सांकतोड़िया : त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में इसीएल के विभिन्न कोलियरियो से सैंकड़ों कर्मियों को चुनाव कार्य के लिए लिया गया है. जिन्हे चुनाव संपन्न कराने के लिए विभिन्न मतदान केन्द्रों पर भेजा जायेगा. इनमें से कईयों ने अपने पूर्व के अनुभवों के आधार पर बताया कि चुनाव कार्य में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
उन्होंने कहा कि चुनाव प्रक्रिया के बारे मे प्रशिक्षण दिया जा चुका है. टीम भी बन चुकी है. एक मतदान केंद्र पर कौन कौन से सहकर्मी होंगे, इसकी जानकारी भी मिल चुकी है. संशय इस बात को लेकर है कि टीम ठीक होगी या नहीं. पीठासीन अधिकारी की ड्यूटी पाये ईसीएल कर्मी सहित कई अन्य ने बताया कि कई बार तो ऐसा होता है कि सहयोगी मतदान केंद्र कर्मी को कुछ जानकारी नही होती है.
ऐसे मे कार्य काफी कठिन हो जाता है. दूसरे किसी ऐसे मतदान केंद्र पर भेज दिया जाना, जहां पेयजल, नित्य कर्म निवृत्ति आदि की सुविधा भी नही रहती. हालांकि ऐसे मतदान केंद्रों पर जाने के बाद ही विकास की अवधारणा की सही स्थिति क्या है, की जानकारी भी मिलती है. उन्होने कहा कि बैलेट चुनाव प्रक्रिया में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में एक मतदाता को तीन मतदान पत्रों पर उनके हस्ताक्षर करना और समझाने में करीब 10-15 मिनट तक का समय लगता है. जो काफी बोझिल और विरक्तकर होता है. अगर केंद्र पर तीन हजार मतदाता हुये तो तीन हजार हस्ताक्षर करने होंगे. उसपर लाईन में खड़े मतदाताओं की मतदान में देर होने के ताने.
उन्होंने कहा कि सुबह चुनाव शुरु करना उनके हाथ मे नही होता. विभिन्न राजनीतिक दलों के पोलिंग एजेंट जब तक आ नहीं जाते और बैलेट बाक्स का निरीक्षण कर अपना हस्ताक्षरित पत्र डाल कर बैलेट बॉक्स को सील नहीं करवा देते तब तक मतदान शुरू नही किया जा सकता है. इसमें विलंब होने पर बाहर लाईन में खड़े मतदाता चिल्लाने लगते हैं. इन सबसे निपट लेने पर भी कई बार ऐसा भी होता है कि सुदूरवर्ती गांव मे स्थित मतदान केंद्र मे मतदान करने के लिये जब टीम पहुंचती है तो मतदान की पहली रात जहां टीम के लोग ठहरते हैं वहां किसी दल का कीई दबंग व्यक्ति कमर या जेब में हथियार कुछ इस तरह से छुपाये आता है कि उसका कुछ हिस्सा दिखता रहता है.
वह बड़े ही आत्मीयता से सब के लिये भोजन की व्यवस्था करता है कि उसे मना भी नही कर सकते. इस बीच वह मनोवैज्ञानिक दबाव डालते हुये पूर्ण आत्मविश्वास भरे लहजे में सांत्वना देते हुए मतदान के शांतिपूर्ण संपन्न करवाने का आश्वासन देता है और कहता है कि चिंता मत कीजिए मतदान में कोई परेशानी नही होगी. इन सबके में मतदान के एक दिन पहले से लेकर एक दिन बाद तक का करीब 36–48 घंटे का तनाव और मानसिक स्थिति वही समझ सकता है जो मतदान करने जाता है. उन लोगों ने ईवीएम वोटिंग को इससे आसान बताया.

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