सिलीगुड़ी. जिस्म की नुमाइश यानी जिस्मफरोशी के गोरखधंधे को शिक्षित लेकिन बेरोजगार युवाओं ने इनदिनों रोजगार का जरिया बना लिया है. यही लोग अन्य बेकार युवक-युवतियों को इस धंधे से जोड़कर उनके लिए आय का एक नया रास्ता खोल रहे हैं. सोशल साइट और मनोरंजन क्लबों के आड़ में जिस्मफरोशी का यह धंधा खूब परवान चढ़ रहा है. गिरोह से जुड़े दलाल से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार जिस्म के नुमाइश के जरिये हर महीने माटी कमाइ होती है. गिरोह ने अपने धंधे को चलाने के लिए केवल सिलीगुड़ी या उत्तर बंगाल ही नहीं बल्कि सिक्किम, असम, बिहार, पूर्वोत्तर राज्यों के अलावा नेपाल, भूटान तक अपना नेटवर्क फैला रखा है.
कैसे चल रहा जिस्म नुमाइश का अनोखा खेल ः दलाल ने अपना नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर बताया कि जिस्म नुमाइश का यह अनोखा खेल आजकल पूरी तरह ऑनलाइन हो चुका है और इस धंधे को अंजाम देने वाले भी शिक्षित युवक-युवतियां ही हैं. उसने बताया कि कम समय में अधिक पैसे कमाने की चाहत रखनेवालों के लिए यह धंधा सबसे अच्छा जरिया है. दलाल की माने तो जिस्मफरोशी के इस धंधे को ऑनलाइन चलाने के लिए पहले शिक्षित युवक-युवतियां कॉल गर्ल, कॉल ब्यॉय, प्ले ब्यॉय, डेटिंग पार्टनर, एस्कॉर्ट सर्विस जैसे नामों से साइट खोलते हैं. साथ ही पार्ट टाइम जॉब या मनोरंजन क्लब से जुड़ कर युवक-युवतियां व महिला-पुरूष हर रोज विज्ञापनों के जरिये युवक-युवतियों को फंसाते हैं. धंधे से जुड़े गिरोह के मेन टारगेट स्कूल-कॉलेजों के छात्र-छात्राएं ही नहीं बल्कि बेकार लेकिन कम उम्र की युवक-युवतियां होते हैं. इन्हें स्मार्ट युवक-युवतियां पहले अपने प्रेम जाल में फंसाते हैं. फिर एकांत व सुनसान जगहों पर बिताये निजी लम्हों का वीडियो बना लेते हैं और इसे वायरल करने की धमकी देकर ब्लैकमैलिंग करने लगते हैं. ऐसे में पीड़ित युवक-युवतियों को मजबूरन इस धंधे को अपनाना पड़ता है. कई मामलों में तो बेकारी और परिवार की आर्थिक तंगी युवक-युवतियों को अपने आप ही इस धंधे को अपनाने के लिए बाध्य कर देती है. दलाल ने बताया कि आज के बदलते परिवेश की वजह से घरेलू व रोजगार में लगे महिला-पुरूष भी अपनी शौक पूरी करने और जिस्मानी भूख मिटाने के लिए इस पेशे से जुड़ने लगे हैं. उसने बताया कि रंगीन मिजाज युवक-युवतियां व महिला-पुरूष भी आजकल ऑनलाइन ही अपने मिजाज के हिसाब से कॉल गर्ल या फिर प्ले ब्यॉय की डिमांड व बुकिंग करने लगे हैं.
उपर भी देनी पड़ती है रकम ः दलाल ने बताया कि जिस्मफरोशी के इस धंधे के लिए किसी तरह का सरकारी टैक्स तो नहीं लगता, कई ऐसे पुलिस अधिकारी या फिर राजनैतिक पार्टियों से जुड़े नेता-कार्यकर्ता हैं जिन्हें इस गोरखधंधें की भनक है, वे लोग प्रत्येक महीने गुंडा टैक्स (जीटी) लेते हैं. शांति और सुरक्षित तरीके से धंधा चले इललिए उन्हें जीटी देना हमारी मजबूरी भी है.