वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही चीते की मौत के कारणों का पता चल सकेगा. प्रारंभिक अनुमान के मुताबिक चीते की मौत चाय बागान में प्रयोग किये जाने वाले कीटनाशक अथवा किसी वाहन के टक्कर से होने की संभावना है. वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जंगल से निकल कर यह चीता चाय बागान में अपना ठिकाना बनाकर रह रहा होगा. रात को सड़क पार करने के क्रम में किसी वाहन से टकरा कर चीते की मौत हुई होगी. दूसरी ओर प्रत्यक्षदर्शियों का दावा है कि चीते की मौत वाहन से टकरा कर नहीं हुई होगी, क्योंकि चीते के शव पर चोट के एक भी निशान नहीं पाये गये हैं.
मानवाधिकार संगठन एनएचआरसीसीओ के दार्जिलिंग जिला के संयोजक तथा स्थानीय निवासी अजय कुमार साह ने बताया कि चीते का शव पड़ा होने की खबर मिलते ही वह भी मौके पर पहुंचे थे. वाहन दुर्घटना से चीते की मौत नहीं हो सकती, क्योंकि शव पर एक खरोंच तक का निशान नहीं है. चीते की मौत या तो कीटनाशकों की वजह से हुई है या किसी ने चीचे को मार कर यहां फेंक दिया है.