सिलीगुड़ी. साइबर चोरों ने इस बार एक सरकारी वकील को ठगी का शिकार बनाया है. बड़े ही आराम से जालसाज ने खुद को स्टेट बैंक का अधिकारी बता कर केवाइसी अपडेट करने के बहाने सरकारी वकील रतन बनिक के दो अकाउंट से 1 लाख 32 हज़ार रुपये उड़ा लिये. बाद में ठगी का मामला समझ […]
सिलीगुड़ी. साइबर चोरों ने इस बार एक सरकारी वकील को ठगी का शिकार बनाया है. बड़े ही आराम से जालसाज ने खुद को स्टेट बैंक का अधिकारी बता कर केवाइसी अपडेट करने के बहाने सरकारी वकील रतन बनिक के दो अकाउंट से 1 लाख 32 हज़ार रुपये उड़ा लिये. बाद में ठगी का मामला समझ आने पर पीड़ित अधिवक्ता ने सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस कमिश्नरेट के साइबर थाने में अपनी शिकायत दर्ज करायी. साइबर क्राइम विभाग ने मामले की जांच शुरू कर दी है. इस घटना के दो दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस किसी को नहीं पकड़ पायी है.
शहर की किसी बड़ी हस्ती के साथ यह दूसरी घटना है. इससे पहले सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर अशोक भट्टाचार्य के बैंक खाते से रुपये उड़ाये गये थे. उन्होंने भी साइबर थाने में शिकायत तो करायी थी लेकिन अब तक उनका पैसा वापस नहीं हुआ है. इस बार ठगबाजों ने सिलीगुड़ी जिला अदालत में कार्यरत खुफिया राजस्व निदेशालय विभाग के वकील रतन बनिक को लूट लिया.
श्री बनिक के अनुसार शहर के स्टेट बैंक व एक निजी बैंक में उनके नाम के दो बैंक अकाउंट हैं. अचानक उन्हें एक अनजान नंबर से फोन आया. उस समय वे अदालती कामकाज में व्यस्त थे. फोन करने वाले ने खुद को स्टेट बैंक का प्रबंधक बताया. उस फरजी व्यक्ति ने सबसे पहले पूछा कि उनके नाम पर कितने बैंक अकाउंट हैं. इसके बाद केवाइसी अपडेट करने की बात कर उसने श्री बनिक के दोनों बैंक खाते की जानकारी हासिल की.
और कुछ ही देर में उनके मोबाइल पर दोनों बैंक से कुल 1 लाख 32 हजार रुपये कट जाने की जानकारी दी गयी. बैंक का एसएमएस देखते ही रतन बनिक दंग रह गये. उन्होंने बताया कि फोन पर उन्होंने उस फरजी व्यक्ति से कुछ पूछताछ भी की थी. उसने बताया कि पिछले मैनेजर का तबादला हो गया है. इसके अतिरिक्त उसने पिन नंबर नहीं मांगा. जिसकी वजह से उन्हें शक नहीं हुआ. बल्कि फोन पर उसने अपना पिन नंबर किसी को नहीं देने की सलाह दी. इसके बाद उन्होंने दोनों बैंक से ट्रांजेक्शन की विस्तृत जानकारी निकाली और घटना की शिकायत लेकर सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस कमिश्नरेट के साइबर थाना पहुंचे. साइबर थाने की टीम ने प्राथमिकी दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है. साइबर थाने से मिली जानकारी के अनुसार उनके रुपये से दो ऑनलाइन शॉपिंग साइट से कुल एक लाख 32 हजार रुपये की खरीदारी की गयी है. यह खरीदारी कहां से की गयी और सामानों की डिलीवरी कहां होनी है, पुलिस उस दिशा में जांच कर रही है.
कहीं से भी हो सकती है ठगी: साइबर थाना सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ठगी करने वाले इसी शहर के हों ये जरूरी नहीं है. वह देश या विश्व के किसी भी कोने से ऐसी घटना को अंजाम दे सकते हैं. बैंक खाते से रुपया उड़ाने के बाद संदिग्ध मोबाइल नंबर और इंटरनेट का आइपी एड्रेस बंद कर दिया जाता है. मोबाइल का आइएमइआइ नंबर भी ट्रेस करना काफी मुश्किल होता है. जिसकी वजह से इस गिरोह से जुड़े लोगों को पकड़ना मुश्किल होता है. कई मामलों में पाया गया है कि एक ही स्थान, एक मोबाइल नंबर व एक ही आइपी एड्रेस से कई ठगी को अंजाम देने के बाद अपराधी मोबाइल नंबर, आइपी एड्रेस आदि बंद कर स्थान से भी हवा हो जाते हैं.