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नाभिकीय प्रौद्योगिकी में भारत छठे स्थान पर

कोलकाता: हाल में सचिन तेंडुलकर और प्रोफेसर सीएनआर राव को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया. सचिन तेंडुलकर को पूरा देश जानता है, लेकिन नाभिकीय प्रौद्योगिकी में उल्लेखनीय कार्य करनेवाले प्रोफेसर सीएनआर राव को कोई नहीं जानता. इसका एक ही कारण है, विज्ञान में हो रहे शोध व खोज के बारे […]

कोलकाता: हाल में सचिन तेंडुलकर और प्रोफेसर सीएनआर राव को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया. सचिन तेंडुलकर को पूरा देश जानता है, लेकिन नाभिकीय प्रौद्योगिकी में उल्लेखनीय कार्य करनेवाले प्रोफेसर सीएनआर राव को कोई नहीं जानता. इसका एक ही कारण है, विज्ञान में हो रहे शोध व खोज के बारे में ज्यादा कुछ जानकारी लोगों तक नहीं पहुंच पाती है.

ये बातें साहा नाभिकीय भौतिकीय संस्थान (कोलकाता) के निदेशक डॉक्टर मिलन कुमार सान्याल ने विधाननगर के परिवर्ती ऊर्जा साइक्लोट्रॉन केंद्र में दो दिवसीय राष्ट्रीय वैज्ञानिक संगोष्ठी के दौरान कहीं. संगोष्ठी में ‘नाभिकीय प्रौद्योगिकी के नवीनतम आयाम तथा अनुप्रयोग’ चर्चा का विषय रखा गया है. कार्यक्रम का आयोजन हिंदी विज्ञान साहित्य परिषद, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (मुंबई) और परिवर्ती ऊर्जा साइक्लोट्रॉन केंद्र (विधाननगर) ने संयुक्त रूप से किया है. श्री सान्याल ने कहा कि संगोष्ठी के माध्यम से विज्ञान के महत्व को लोगों तक पहुंचाया जा सकता है. चीनी भाषा के बाद हिंदी सर्वाधिक बोलचाल की भाषा है. विज्ञान की जानकारी का प्रसार हिंदी में बेहतर ढंग से प्रसार किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि विज्ञान का सही ढंग से यदि प्रसार नहीं हुआ, तो भारत सेल्समैन का देश हो जायेगा. उन्होंने नाभिकीय भैतिकी में देश में तेजी से प्रगति कर रहा है. नाभिकीय प्रौद्योगिकी में 2000 में भारत दुनिया में 12वें व 13वें स्थान पर था, अभी देश इस मामले में विश्व में इस क्षेत्र में छठे व सातवें स्थान पर आ गया है. उन्होंने कहा कि अभी भी वैज्ञानिकों को बहुत कुछ प्रयास करना बाकी है, इसमें लोगों के समर्थन और अर्थ की आवश्यकता है.

परमाणु ऊर्जा नियामक परिषद (मुंबई) के अध्यक्ष व कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सतींद्र सिंह बजाज ने कहा कि देश के हर वर्ग तक विज्ञान का प्रसार का लाभ पहुंचना चाहिए. विकिरण से आम लोगों को नुकसान न पहुंचे, इस पर नियामक परिषद विशेष ध्यान रखती है. नभिकीय ऊर्जा संयंत्र चालू होने के पहले उसे विश्व स्तर के मानक की जांच से गुजरना पड़ता है. इन संयंत्रों की नियमित जांच होती रहती है.

कार्यक्रम के अध्यक्ष व परिवर्ती ऊर्जा साइक्लोट्रॉन केंद्र के निदेशक डॉक्टर दिनेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि नभिकीय प्रौद्योगिकी की वजह से पृथ्वी-दो मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया है. विज्ञान के सभी शोध व काम अंगरेजी में होते हैं. विज्ञान की सारी पुस्तकें भी अंगरेजी में होती हैं. यहीं वजह है कि हिंदी में विज्ञान को लेकर संगोष्ठी करना कठिन होता है. उन्होंने कहा कि विज्ञान का आनंद एक अलग आनंद है. उन्होंने कहा कि देश के 41 प्रतिशत लोग ही हिंदी बोलते हैं. हिंदी गरीबों की भाषा है. हिंदी सिखाने वाले हिंदी से बलात्कार करते हैं. उन्होंने कहा कि हिंदीभाषी लोग हिंदी की प्रतियों व किताबें खरीदने में उत्साह नहीं दिखाते. यही वजह है कि हिंदी का प्रसार नहीं हो पा रहा है. हालांकि हिंदी फिल्म के गाने पूरे विश्व में लोकप्रिय हैं.

हिंदी विज्ञान साहित्य परिषद के सचिव जय प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि विज्ञान की जगरूकता व उसके प्रसार को पूरे देश में फैलाने की आवश्यकता है. विज्ञान साहित्य परिषद की स्थापना वैज्ञानिक शोध व अनुसंधान को लोगों तक पहुंचाने के लिए हुई थी. हर साल परिषद की ओर से देश के विभिन्न स्थानों पर संगोष्ठी आयोजित की जाती है. परमाणु ऊर्जा का सामाजिक हित में प्रयोग और शांतिपूर्ण उपयोग ही भाभा का सपना था. इस मौके पर परिषद की ओर से एक स्मारिका का विमोचन किया गया. कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर देवरंजन सरकार ने किया. धन्यवाद ज्ञापन संस्थान के भास्कर झा ने किया.

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