हावड़ा: सारधा चिटफंड घोटाले में गिरफ्तार व सात दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेजे गये तृणमूल कांग्रेस के निलंबित सांसद कुणाल घोष को 24 घंटे पहले ही हावड़ा के सीजेएम कोर्ट में पेश किया गया. मजिस्ट्रेट अरुण कुमार नंदी ने सांसद की जमानत याचिका खारिज करते हुए 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया. आरोपी सांसद की हावड़ा कोर्ट में यह दूसरी पेशी थी. 30 नवंबर को उन्हें यहां पेश किया गया था, जहां मजिस्ट्रेट ने उन्हें सात दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेजने का निर्देश दिया था. आरोपी पर धारा 420, 406, 506/34 के तहत मामला दर्ज है.
नहीं थी पेशी की जानकारी
श्री घोष के वकील अर्धेदु दास ने बताया कि श्री घोष को शनिवार को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश होना था, लेकिन उन्हें एक दिन पहले ही पेश किया गया. ऐसा क्यों किया गया, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है. हालांकि उन्होंने बताया कि कानून के मुताबिक, पुलिस हिरासत के दौरान आरोपी से पूछताछ पूरी होने पर पुलिस तय दिन के पहले आरोपी को अदालत में पेश कर सकती है, लेकिन ऐसे मामलों में आरोपी को जमानत मिलनी चाहिए, लेकिन ऐसा यहां नहीं हुआ. उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गयी. न्यायिक हिरासत के दौरान वह मल्लिक फाटक संशोधानगार में रहेंगे.
असुरक्षित महसूस कर रहे हैं सांसद
वकील ने बताया कि श्री घोष ने पुलिस कस्टडी में अपने आप को असुरक्षित बताया है. उनकी तबीयत भी ठीक नहीं है. उनके पैर में दर्द है. उनका एक्स-रे भी किया गया है. बावजूद इसके उनकी जमानत खारिज कर दी गयी. आरोपी की एक दिन पहले पेशी क्यों की गयी, यह पूछे जाने पर सरकारी पक्ष के वकील पायल घोष बनर्जी ने कहा कि पुलिस हिरासत में पूछताछ संपन्न होने पर आरोपी को पहले पेश किया जा सकता है. चूंकि पूछताछ में उनकी संलिप्तता सामने आयी है, इसलिए जमानत खारिज करते हुए उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया है.
क्या है मामला
सारधा ग्रुप के एजेंट जयंत बेरा ने पांच मई, 2013 को सांतरागाछी थाने में सारधा ग्रुप के मालिक सुदीप्त सेन और अन्य एजेंट ब्रजेश राय के खिलाफ एफआइआर दर्ज करायी है. जयंत ने दोनों पर सात लाख 15 हजार रुपये घोटाला करने का आरोप लगाया है. इसी मामले में हावड़ा सिटी पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया.