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पड़ोसी राज्यों का दबाव, पर सरकार ने कहा आलू बाहर भेजने पर रोक बरकरार

कोलकाता/रांची: पड़ोसी राज्यों के दबाव के बावजूद पश्चिम बंगाल से आलू बाहर भेजने पर रोक बरकरार है. मुख्य सचिव संजय मित्र ने बुधवार को कहा कि आलू दूसरे राज्यों को भेजने पर लगी रोक हटाने के बारे में अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है. आलू अन्य राज्यों को भेजने से पहले राज्य सरकार से […]

कोलकाता/रांची: पड़ोसी राज्यों के दबाव के बावजूद पश्चिम बंगाल से आलू बाहर भेजने पर रोक बरकरार है. मुख्य सचिव संजय मित्र ने बुधवार को कहा कि आलू दूसरे राज्यों को भेजने पर लगी रोक हटाने के बारे में अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है. आलू अन्य राज्यों को भेजने से पहले राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी.

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल से आलू बाहर भेजने पर लगी रोक का पड़ोसी राज्य विरोध कर रहे हैं. बंगाल आलू का प्रमुख उत्पादक राज्य है. यहां से आलू की आपूर्ति पर रोक से पड़ोसी राज्यों में आलू की जबरदस्त किल्लत हो गयी है. ओड़िशा और असम सरकार ने बंगाल सरकार से आलू बाहर भेजने पर रोक लगाने के फैसले पर पुनर्विचार का आग्रह किया था, पर अपने यहां किल्लत का हवाला देकर राज्य सरकार ने इस आग्रह को ठुकरा दिया.

झारखंड को दिया आश्वासन
उधर, आलू की आपूर्ति पर रोक हटाने के लिए झारखंड के कृषि मंत्री योगेंद्र साव ने बुधवार की देर शाम बंगाल के कृषि मंत्री मलय घटक से बात की. घटक ने उनसे जिलावार आलू की आवश्यकता की सूची मांगी. आश्वासन दिया कि सूची मिलने के बाद इस पर आवश्यक कार्रवाई की जायेगी. योगेंद्र साव ने कहा : विभागीय सचिव को जिलावार आलू की खपत की जानकारी बंगाल सरकार को फैक्स कर सूचित करने का निर्देश दिया गया है. गुरुवार तक सारी जानकारी बंगाल को दे दी जायेगी. उन्होंने कहा : बंगाल के कृषि मंत्री ने आश्वासन दिया है कि झारखंड में मांग के अनुरूप आलू की आपूर्ति का प्रयास किया जायेगा.

देर रात बंगाल के कृषि मंत्री मलय घटक ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिल कर ताजा घटनाक्रम की जानकारी दी. समझा जाता है कि चौतरफा दबाव को देखते हुए बंगाल सरकार जल्द ही कोई रास्ता निकालेगी.गौरतलब है कि आलू की बढ़ती कीमत व इसकी किल्लत के कारण राज्य के कृषि विपणन मंत्री अरूप राय को अपने अधिकार से हाथ धोना पड़ा है. मुख्यमंत्री ने विभाग का कार्यभार खुद संभाल लिया है. उन्होंने आलू मुद्दे पर विशेष उपसमिति बनाकर इसका जिम्मा मुख्य सचिव संजय मित्र को सौंप दिया है. अब राज्य के बाहर आलू भेजने से पहले मुख्य सचिव से अनुमति लेनी होगी. वह राज्य की मांग व आपूर्ति से संतुष्ट होने के बाद ही आलू राज्य के बाहर भेजने की मंजूरी देंगे.

मुख्य सचिव संजय मित्र ने बुधवार को संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि दूसरे राज्यों को आलू भेजने से पहले राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी. उन्होंने दावा किया कि अन्य राज्यों में आलू को लेकर कोई परेशानी नहीं है. बंगाल सरकार बाकी राज्यों के समकक्षों के साथ संपर्क में हैं.

धड़ल्ले से हो रही है आलू की तस्करी
राज्य सरकार ने भले ही आलू बंगाल से बाहर भेजने पर रोक लगा दी है, लेकिन आलम यह है कि आलू अब एक ऐसा उत्पाद हो गया, जिसकी तस्करी हो रही है. राज्य से सड़क मार्ग के जरिये धड़ल्ले से आलू की तस्करी हो रही है. तस्करी करने वाले एजेंट प्रत्येक ट्रक से 700 रुपये लेकर इसे अन्य राज्यों में भेज रहे हैं. आलू पर लगी रोक के कारण व्यापारी भी अन्य राज्यों में आलू भेजने के लिए आसानी से 700 रुपये का भुगतान कर रहे हैं.

क्या कहा मलय घटक ने
कृषि मंत्री मलय घटक ने कहा कि 20 नवंबर को मुख्यमंत्री के नेतृत्व में महंगाई से निबटने के लिए बनी टास्क फोर्स की बैठक होगी. इस बैठक में ही आलू राज्य से बाहर भेजने पर लगी रोक के मुद्दे पर अंतिम फैसला लिया जायेगा. तब तक आलू बंगाल से बाहर भेजने पर रोक जारी रहेगी.

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