20 से 22 दिसंबर तक दिल्ली में होगा प्रदर्शन
दार्जिलिंग : गोरखा जनमुक्ति मोरचा (गोजमुमो) प्रमुख बिमल गुरुंग ने रविवार को स्थानीय मोटर स्टैंड के समीप एक बड़ी जनसभा में कहा कि गोरखालैंड की मांग से कोई समझौता नहीं होगा. लेकिन गोरखालैंड को लेकर अब पहाड़ में बंद नहीं होगा. गोरखालैंड की मांग की लड़ाई अब दिल्ली ले जायी जायेगी.
20 से 22 दिसंबर तक दिल्ली में प्रदर्शन होगा. गुरुंग ने जनसभा में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर भी जमकर निशाना साधा.
गोजमुमो प्रमुख ने कहा कि दिल्ली में होने वाले प्रदर्शन में मोरचा की दिल्ली शाखा की ओर से 35 हजार समर्थक शामिल होंगे. उत्तर–पूर्व राज्यों से भी हजारों की तादाद में गोरखालैंड समर्थक मौजूद रहेंगे. दार्जिलिंग से कम से कम 60 हजार कार्यकर्ता दिल्ली जायेंगे. सहयोगी संगठनों के कार्यकर्ता भी आंदोलन में शिरकत करेंगे.
गुरुंग ने कहा कि नौ नवंबर को कालिम्पोंग में जनसभा होगी. ममता पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि जब भी मुख्यमंत्री पहाड़ आती हैं, पहाड़ अशांत हो जाता है. यहां आकर मुख्यमंत्री गोरखा समुदाय को बांटने के लिए कूटनीतिक योजनाओं की झड़ी लगा देती हैं.
गुरुंग ने कहा कि वह लड़ाई–झगड़े के पक्षधर नहीं हैं. खून–खराबे की राजनीति से वह हमेशा दूर रहे हैं. उन्होंने पहाड़वासियों से अपील की कि क्षण भर की खुशी व माया में फंस कर सदियों पुराने संबंधों को तोड़ना अच्छी बात नहीं है. उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ की तैनाती से पहाड़ में शांति कायम नहीं की जा सकती.
गुरुंग ने कहा कि उन्होंने गोरखा टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) के संचालन के लिए एक अलग टीम का गठन किया है. जीटीए के संचालन के लिए आदेश दिया जा चुका है.
जनसभा के बाद संवाददाताओं से बातचीत में गुरुंग ने कहा कि अलग राज्य की मांग में मोरचा का आंदोलन जारी रहेगा. जीटीए में शामिल होने के लिए उनसे की जा रही अपील के बारे में पूछे जाने पर गुरुंग ने कहा कि उनका विजन गोरखालैंड है.
राज्य सरकार गोरखा समुदाय को विभाजित करने के लिए विभिन्न प्रकार के विकास बोर्ड का गठन कर रही है. दूसरी ओर, मोरचा महासचिव रोशन गिरि ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस गोरखालैंड विरोधी है. राज्य सरकार किसी भी हाल में गोरखालैंड का साथ नहीं देगी. जीएनएलएफ की छठीं अनुसूची को पहाड़ की जनता खारिज कर चुकी है. जनसभा में सावन राई, सरोज थापा आदि ने विचार रखे.