– मुश्ताक खान –
कोलकाता : भारत में कोलकाता ही एकमात्र ऐसा शहर है, जहां ट्राम चलती है पर वह दिन दूर नहीं जब कोलकाता की यह ऐतिहासिक परिवहन व्यवस्था सैकड़ों किलोमीटर दूर पंजाब में भी दिखायी देगी, पर ट्राम पंजाब के किसी शहर में आम लोगों के लिए नहीं, बल्कि पंजाब विश्वविद्यालय में वहां के छात्रों व स्टाफ के लिए चलायी जायेगी.
गौरतलब है कि पंजाब विश्वविद्यालय 550 एकड़ पर फैला हुआ है, जो किसी छोटे–मोटे शहर से कम नहीं है. इस विशाल कैंपस में सफर के लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन ने कलकत्ता ट्रामवेज कंपनी (सीटीसी) से सहायता मांगी है.
सीटीसी चेयरमैन शांतिलाल जैन ने बताया कि जून 2012 में पंजाब विश्वविद्यालय ने पश्चिम बंगाल परिवहन विभाग को पत्र लिख कर सीटीसी एवं पीडब्लूडी के विशेषज्ञों को इस परियोजना के लिए वहां इंफ्रस्ट्रक्चर तैयार करने के लिए आमंत्रित किया था.
विश्वविद्यालय प्रबंधन ने सीटीसी एवं पीडब्लूडी से विश्वविद्यालय परिसर में ट्राम की पटरी तैयार करने, ट्राम चलाने के लिए ओवरहेड तार लगाने एवं बिजली के सब–स्टेशन तैयार करने का अनुग्रह किया था. इसके साथ ही विश्वविद्यालय ने सीटीसी से दो ट्राम खरीदने की भी इच्छा प्रकट की थी. उस समय तो दोनों विभागों ने फौरन पत्र का जवाब दे दिया था और साथ ही ट्राम चलाने पर होने वाले खर्च का ब्यौरा भी विश्वविद्यालय प्रबंधन को सौंप दिया था. उसके अनुसार कंक्रीट की प्रत्येक एक किलोमीटर पटरी बिछाने पर एक करोड़ रुपये खर्च होगा.
एक किलोमीटर ओवरहेड तार बिछाने व सब–स्टेशन तैयार करने पर भी एक करोड़ रुपये की मांग की गयी थी. दो ट्राम की कीमत सीटीसी ने एक करोड़ बताया था. पंजाब विश्वविद्यालय को यह सौदा पसंद आया था और इस पर विचार विमर्श करने के बाद सीटीसी एवं पीडब्लूडी विभाग को काम शुरू करने के लिए भी कह दिया गया था.
पर ऑर्डर मिले चार महीने होने को आये है, सीटीसी व पीडब्लूडी दोनों ही राज्य सरकार की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं. वैसे श्री जैन को उम्मीद है कि राज्य सरकार से जल्द ही इजाजत मिल जायेगी. उधर पंजाब सरकार ने पंजाब विश्वविद्यालय के इस फैसले को मंजूरी भी दे दी है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार पहले विश्वविद्यालय प्रबंधन ने अपने परिसर में सीएनजी ऑटो चलाने पर विचार किया था, पर वह काफी खर्चीला मसहूस हुआ. उसके बाद बस चलाने पर विचार हुआ, पर इस पर भी सहमति नहीं बनी. सीटीसी के पास फिलहाल 270 ट्राम हैं, जिनमें से 160-170 ही चलती हैं, बाकी यूं ही बेकार पड़ी हुई हैं.
उन्हीं में से दो की मरम्मत कर पंजाब विश्वविद्यालय के हवाले कर दिया जायेगा. अगर राज्य सरकार इस काम को करने के लिए इजाजत दे देती है तो इससे विशेष रूप से सीटीसी को काफी आर्थिक लाभ पहुंचेगा और उसे सरकार पर अपनी निर्भरता कम करने में बड़ी मदद मिलेगी.