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बी सी राय अस्पताल में 49 शिशुओं की मौत

कोलकाता : कोलकाता में राजकीय बी सी राय अस्पताल में गत सात दिनों के दौरान 49 शिशुओं की मौत हो चुकी है. पूर्वी क्षेत्र में बच्चों का सबसे बड़ा रेफरल अस्पताल गत कुछ वर्षों के दौरान बड़ी संख्या में शिशुओं की मौत को लेकर खबरों में है. अस्पताल सूत्रों ने कहा, ‘‘ गत सात दिनों […]

कोलकाता : कोलकाता में राजकीय बी सी राय अस्पताल में गत सात दिनों के दौरान 49 शिशुओं की मौत हो चुकी है. पूर्वी क्षेत्र में बच्चों का सबसे बड़ा रेफरल अस्पताल गत कुछ वर्षों के दौरान बड़ी संख्या में शिशुओं की मौत को लेकर खबरों में है.

अस्पताल सूत्रों ने कहा, ‘‘ गत सात दिनों के दौरान हमारे अस्पताल में 49 बच्चों की मौत हुई है और उनमें से अधिकतर बच्चों को नाजुक स्थिति में लाया गया था.’’उन्होंने कहा कि गत 24 घंटे के दौरान सात बच्चों की मौत हुई है. सूत्रों ने यद्यपि अस्पताल के चिकित्सकों और नर्सिंग स्टाफ की ओर से लापरवाही से बरते जाने से इनकार किया.

स्वास्थ्य राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि अस्पताल प्रशासन की ओर से कोई चिकित्सकीय लापरवाही नहीं पायी गई है.

भट्टाचार्य ने अस्पताल के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद कहा, ‘‘इस मौसम के दौरान बच्चे बहुत अधिक बीमार पड़ते हैं और अधिकतर समय बच्चों को इस रेफरल अस्पताल में बहुत नाजुक स्थिति में लाया जाता है. स्थिति कुछ भी असामान्य नहीं है.’’

भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘इसके बावजूद हमने अपनी चिकित्सकीय टीम, नर्सिंग स्टाफ और आधारभूत ढांचे को सुदृढ़ किया है.’’ बाल स्वास्थ्य देखभाल की निगरानी के लिए गठित कार्यबल के अध्यक्ष त्रिदिब बनर्जी ने इससे पहले कहा, ‘‘स्वास्थ्य विभाग मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश के तहत सर्वश्रेष्ठ बाल स्वास्थ्य देखभाल मुहैया कराने का प्रयास कर रहा है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम इसका प्रयास कर रहे हैं कि उचित स्वास्थ्य देखभाल और इलाज के अभाव में एक बच्चे की भी मौत नहीं हो.’’ सूत्रों ने कहा कि अस्पताल में बच्चों की मृत्युदर प्रतिदिन पांच से छह है और ‘‘गत सात दिनों से यह सात प्रतिदिन है.’’ अस्पताल सूत्रों के अनुसार शिशुओं को निजी अस्पताल या नर्सिंग होम से गंभीर स्थिति में इस अस्पताल में लाया जाता है और ‘‘कुछ मामलों में तो कुछ भी नहीं किया जा सकता था.’’

अस्पताल की चिकित्सा सेवा सुधारने की पहल
उधर, महज पांच दिनों में 36 शिशुओं की मौत से राज्य स्वास्थ्य भवन व अस्पताल प्रबंधन सकते में हैं. अब अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था सुधारने के लिए कई ठोस कदम उठाये जायेंगे.

-विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ आयेंगे.

-चार प्रोफेसर व आठ स्पेशल शिशु रोग विशेषज्ञ होंगे.

-कुछ स्थायी व कुछ अस्थायी होंगे.

-तीन से चार माह में पेडियाट्रिक कार्डियक कैथ लैब भी होगा शुरू.

निजी अस्पतालों पर होगी कार्रवाई:डॉ बंद्योपाध्याय ने बताया कि जिन नर्सिग होम ने बीमार शिशुओं को यहां रेफर किया था, उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. संवाददाता सम्मेलन में स्वास्थ्य सचिव सतीश तिवारी, प्रिंसिपल माला भट्टाचार्य, अस्पताल अधीक्षक दिलीप पाल व अन्य अधिकारी मौजूद थे.

गंभीर बीमारी से पीड़ित थे
डॉ बंद्योपाध्याय ने बताया कि कमेटी के अनुसार जितने भी शिशुओं की मौत हुई, उन्हें बहुत ही गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया था. इन्हें राज्य के विभिन्न जिलों के अस्पतालों या फिर नर्सिग होम से यहां रेफर किया गया था. जांच में यह भी पाया गया कि जिन बच्चों की मौत हुई, वे निमोनिया, कुपोषण, लीवर संक्रमण आदि बीमारियों से पीड़ित थे.

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