कोलकाता: राज्य के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित विद्यालयों में बिजली मुहैया कराने के लिए राज्य सरकार ने यहां सोलर एनर्जी पैनल लगाने की योजना बनायी है. पहले चरण में राज्य के 100 ग्रामीण विद्यालयों में यह सेवा शुरू की जायेगी, इसके बाद धीरे-धीरे इसे अन्य क्षेत्रों में भी लागू किया जायेगा. यह जानकारी पश्चिम बंगाल नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (वेबरेडा) के प्रबंध निदेशक शांतिपद गनचौधरी ने दी.
उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में राज्य के तीन जिले उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना व दक्षिण दिनाजपुर के 100 विद्यालयों में यह सोलर पैनल लगाया जायेगा और प्रत्येक स्कूल में रोजाना पांच किलो वाट बिजली का उत्पादन होगा. सोलर पैनल से उत्पादित बिजली का प्रयोग ही स्कूल में किया जायेगा और अतिरिक्त बिजली से यहां बैटरी चार्ज किया जायेगा. उन्होंने बताया कि बारिश के समय सोलर पैनल से पर्याप्त मात्र में बिजली का उत्पादन नहीं होता है, इसलिए इस दौरान बिजली सेवा जारी रखने के लिए बैटरी का प्रयोग किया जायेगा. उन्होंने बताया कि सौर ऊर्जा का प्रयोग करने में बंगाल देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे आगे है. देश का पहला सौर ऊर्जा उत्पादन प्लांट दक्षिण 24 परगना जिले के सागर में लगाया गया है.
इसी प्रकार, बर्दवान जिले के जामुरिया में देश का सबसे पहला मेगावाट स्तर का बिजली उत्पादन करनेवाली सौर ऊर्जा प्लांट की स्थापना भी हो चुकी है. यहां तक कि राज्य के कई भवनों में सौर ऊर्जा का प्रयोग जारी है, इनमें पशुपालन विभाग का भवन, जलपाईगुड़ी गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज, राजभवन में सौर ऊर्जा का प्रयोग किया जा रहा है. राज्य सरकार ने यहां सौर ऊर्जा का विकास करने के लिए न्यूटाउन, मध्यमग्राम, हावड़ा, राइटर्स बिल्डिंग व नये सचिवालय में भी इसका प्रयोग करने की योजना बनायी है.