कोलकाता: मां मुझे क्या हुआ है? मैं भी दूसरे बच्चों के साथ खेलना चाहती हूं, पर खेल नहीं पाती. अब भला चार वर्षीया सिमरन की मां उसे कैसे समझाये कि उसकी बच्ची जिंदगी और मौत से जूझ रही है. वह दूसरे बच्चों की तरह न तो दौड़ सकती है और न ही स्वस्थ है. पल-पल वह जिंदगी से एक कदम पीछे जा रही है. महानगर के निकटवर्ती जिले हुगली के बंडेल की रहने वाले सिमरन के हॉर्ट वाल्व में समस्या है. इस बीमारी की चपेट में वह जन्म से ही है. सिमरन के परिवार के पास इतने रुपये नहीं हैं कि वह बच्ची का इलाज करवा सके. आर्थिक तंगी व सिमरन की बीमारी उसके परिवार के बाकी सदस्यों को लीलने को तैयार है. महानगर के अलीपुर स्थित चिड़ियाखाना में जानवरों को गोद लेने के लिए कई नामचीन हस्तियों के लाखों रुपये तक खर्च करने की बात सामने आती है, लेकिन आज उस मासूम की जिंदगी बचाने के लिए शायद ही कोई सामने आये.
सिमरन के माता-पिता में तलाक हो जाने के कारण सिमरन अब ननिहाल बंडेल डनलप खेवाघाट के शिव तल्ला लेन मेन रोड रहती है. सिमरन के नाना एक रिक्शा चालक हैं और मामा इधर-उधर मजदूरी कर जीविका उपाजर्न करते हैं. विष्णु पासवान के अनुसार, डेढ़ साल पहले चिकित्सकों के जरिये उन्हें यह पता चला कि सिमरन के हॉर्ट वाल्व में समस्या है. बच्ची का इलाज फिलहाल महानगर के एसएसकेएम अस्पताल में चल रहा है.
सिमरन का इलाज प्रोफेसर डॉ जी सेन गुप्ता कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अस्पताल की ओर से इलाज में किसी भी प्रकार की कमी नहीं छोड़ी जा रही है, लेकिन बच्ची की जिंदगी बचाने के लिए सजर्री करना काफी जरूरी है. डॉ सेन गुप्ता के अनुसार, बच्ची के हार्ट की सजर्री पर करीब 1.10 लाख रुपये खर्च हो सकते हैं, लेकिन बच्ची के परिवारवालों के पास इतने रुपये नहीं हैं कि वे बच्ची का इलाज करवा सकें. इस मासूम की जान बचाने के लिए परिजन मददगार लोगों से आस लगाये हुए हैं.