कोलकाता: छह दिसंबर, 1992 को बाबरी मसजिद विध्वंस की घटना के खिलाफ वाम दलों ने राज्यभर में काला दिवस मनाया. इसके साथ ही सांप्रदायिकता व इसे बढ़ावा देनेवाली शक्तियों के खिलाफ और सांप्रदायिक सौहार्द बनाये रखने के लिए 17 वाम दलों की ओर से महानगर में महाजुलूस निकाला गया. महाजुलूस शनिवार को अपराह्न दो बजे से महाजाति सदन के निकट से निकाला गया, जो महानगर के विभिन्न मार्गो से गुजरते हुए रवींद्र सदन के निकट समाप्त हुआ.
रैली में राज्य में वाम मोरचा के चेयरमैन बिमान बसु, असीम दासगुप्ता, रबीन देव, फॉरवर्ड ब्लॉक के अशोक घोष, नरेन दे, फॉरवर्ड ब्लॉक के युवा नेता श्रीकांत सोनकर, भाकपा माले के पार्थ घोष, कार्तिक पाल समेत लेखक, साहित्यकार, बुद्धिजीवियों सहित भारी संख्या में लोग भी शामिल हुए. उधर, भारी भीड़ की वजह से महानगर की ट्रैफिक व्यवस्था जैसे थम-सी गयी थी.
वाम नेताओं ने कहा कि यह जुलूस वामपंथी दलों की नहीं, बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द के लिए निकाला गया है. बंगाल शुरू से ही सांप्रदायिकता को बढ़ावा देनेवालीं शक्तियों के खिलाफ है और हमेशा रहेगा.
राज्य में वाम मोरचा के चेयरमैन बिमान बसु ने कहा कि महाजुलूस के माध्यम से वामदल यह बताना चाहते हैं कि वोट बैंक की राजनीति कर सांप्रदायिकता को बढ़ावा देनेवाली शक्तियों के खिलाफ वामपंथी हमेशा ही साथ रहेंगे. उन्होंने कई मुद्दों को लेकर भाजपा नेतृत्ववाली केंद्र सरकार व राज्य की तृणमूल सरकार की भी आलोचना की.
बिमान बसु ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार कॉरपोरेट जगत की हितैषी है. आम लोगों से किये वायदे का क्या? केंद्र सरकार की आर्थिक नीति स्पष्ट हो गयी है. एफडीआइ को बढ़ावा देना देश के लिए सही नहीं है. तृणमूल कांग्रेस पर निशाना साधते हुए बिमान बसु ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस की कोई सटीक नीति नहीं है. पहले तृणमूल कांग्रेस की ओर से सांप्रदायिकता की खिलाफत क्यों नहीं की गयी? उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा को बंगाल की राह तृणमूल ने ही दिखायी है.
उधर, महानगर में तालतला मिर्जा गालिब लोकल कमेटी की ओर से भी रैली निकाली गयी. इस मौके पर लोकल कमेटी के नेताओं में परवेज अहमद, निताई दत्ता, सिकंदर आजम, मानिक दा, महबूब आलम, शाहनवाज गुलाब सहित अन्य नेता उपस्थित रहे.