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कभी पूरे उत्तर बंगाल में था केएलओ का खौफ

जलपाईगुड़ी: केंद्र सरकार द्वारा कामतापुर लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन (केएलओ) को आतंकी संगठन घोषित कर दिया गया है. कभी इस संगठन का पूरे उत्तर बंगाल में खौफ था. हालांकि इस प्रतिबंध पर केएलओ के पूर्व कमांडर मिल्टन वर्मा ने केंद्र व राज्य सरकार के खिलाफ हमला बोलते हुए कहा कि अलग राज्य, भाषा व संस्कृति की स्वीकृति […]

जलपाईगुड़ी: केंद्र सरकार द्वारा कामतापुर लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन (केएलओ) को आतंकी संगठन घोषित कर दिया गया है. कभी इस संगठन का पूरे उत्तर बंगाल में खौफ था.

हालांकि इस प्रतिबंध पर केएलओ के पूर्व कमांडर मिल्टन वर्मा ने केंद्र व राज्य सरकार के खिलाफ हमला बोलते हुए कहा कि अलग राज्य, भाषा व संस्कृति की स्वीकृति को लेकर केएलओ नब्बे के दशक से आंदोलनरत है, लेकिन आज तक केएलओ की एक भी मांग पूरी नहीं की गयी. इस तरह से समस्या का समाधान किये बिना किसी संगठन को प्रतिबंधित घोषित कर देना उचित नहीं है. इससे केएलओ का मनोबल कमजोर नहीं होगा बल्कि और बढ़ेगा.

दो दशकों तक सशस्त्र आंदोलन चलाने के बाद व अनगिनत लोगों की हत्या हो जाने के बाद केंद्र सरकार ने कामतापुर लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन (केएलओ) को प्रतिबंधित घोषित किया है. वाम शासनकाल में उत्तर बंगाल में एक के बाद एक हत्या, व्यवसायी अपहरण, रंगदारी आदि मामलों में उग्रवादी संगठनों में केएलओ का नाम सबसे ऊपर था. विभिन्न आपराधिक कामकाज में पुलिस के खाते में एक नंबर पर था केएलओ. 28 दिसंबर 1993 को अविभाजित जलपाईगुड़ी जिले के कुमारग्राम ब्लॉक के पुकुरी गांव में केएलओ का जन्म हुआ. कुमारग्राम के उत्तर हल्दीबाड़ी गांव के रहनेवाले जीवन सिंह, हर्षबर्धन दास, मिल्टन वर्मा, मधुसूदन दास आदि राजवंशी संप्रदाय के युवकों ने अलग कामतापुर राज्य, अगल भाषा की स्वीकृति की मांग में केएलओ को खड़ा कर दिया था.

कभी पूरे उत्तर बंगाल में था..

केएलओ ने उत्तर बंगाल के विभिन्न जिलों के युवकों को सशस्त्र प्रशिक्षण दिया था. 2003-04 में भूटान के आतंकी खदेड़ो अभियान में ऑपरेशन फ्लैश आउट के समय से ही केएलओ चीफ जीवन सिंह फ रार है. इस ऑपरेशन के दौरान केएलओ के कई शीर्ष स्थानीय नेता जैसे टॉम अधिकारी, हर्षवर्धन दास, मिल्टन वर्मा आदि पकड़े गये थे. नब्बे के दशक के आखिर में जीवन सिंह पुलिस के हाथों पकड़ा गया था. बाद में असम की एक अदालत ने उसे जमानत पर छोड़ दिया था. तब से लेकर आज तक वह लापता है. दूसरी ओर, इस बारे में माकपा के जिला संयोजक सलिल आचार्य ने बताया कि किसी आतंकवादी ताकत को प्रतिबंधित घोषित किया जाना लोकतंत्र के लिए अच्छा है. केंद्र सरकार ने भारत के कानून के तहत काम किया है. कांग्रेस के जलपाईगुड़ी जिलाध्यक्ष निर्मल घोष दस्तिदार ने कहा कि किसी भी संगठन को प्रतिबंधित घोषित करने से पहले उनसे बातचीत करनी चाहिए. इधर, सोमवार से मैनागुड़ी में केएलओ के पूर्व सदस्यों का रिले अनशन शुरू हो गया है. कामतपुरी भाषा व संस्कृति बचाओ कमेटी के अध्यक्ष मृणाल राय ने बताया कि केएलओ को प्रतिबंधित घोषित कर दिये जाने के संबंध में उन्हें कुछ नहीं पता.

पुनर्वास योजना फेल

आत्मसमर्पण करने वाले केएलओ को जीवन की मुख्यधारा में लौटाने के लिए व उन्हें स्वनिर्भर बनाने के लिए केंद्र सरकार के राष्ट्रीय समविकास योजना के तहत तत्कालीन वाम सरकार ने वर्ष 2005 में ऑपरेशन नवदिशा नामक पुनर्वासन परियोजना चालू किया था. हालांकि इस योजना से स्वनिर्भर नहीं बन पाने के बाद केएलओ ने वर्ष 2008 में इस पुनर्वासन योजना का बायकाट कर दिया था. दूसरे चरण में फिर से वर्ष 2010-11 में केएलओ के लिए पुनर्वासन परियोजना शुरू की गयी, लेकिन तब भी केएलओ ने इसे नहीं स्वीकारा. इसी बची राज्य में तृणमूल सरकार सत्ता में आयी. जेल में बंद टॉम अधिकारी समेत छह केएलओ नेताओं को शर्त के आधार पर जमानत पर राज्य सरकार ने रिहा कर दिया. इसके बाद टॉम अधिकारी व अन्य केएलओ नेताओं ने कई बार अपनी मांगों को लेकर राज्य सरकार के साथ बैठक करने की कोशिश की, जो सफल नहीं हो पायी.

केंद्र ने लगाया है प्रतिबंध

अब केंद्रीय गृह मंत्रलय द्वारा जारी विज्ञप्ति में 1967 के अनलवफूल एक्विविटिस (प्रिवेंशन) एक्ट के पहले धारा के तहत आतंकी संगठनों की सूची में केएलओ को प्रतिबंधित घोषित किया गया है. विज्ञप्ति में यह भी उल्लेख किया गया है कि असम के 14 जिलों में व उत्तर बंगाल में केएलओ अभी भी सक्रिय है.

नयी कमेटी का गठन

2012 में फिर से टॉम अधिकारी, प्रदीप राय, प्राण नारायण कोच, मलखान सिंह, मंचलाल सिंह आदि केएलओ नेताओं ने गड़बड़ी शुरू कर दी और भूमिगत हो गये. नवगठित केएलओ में जीवन सिंह को चेयरमैन व टॉम अधिकारी को डिप्टी चेयरमन बनाया गया. असम के कैलाश कोच को महासचिव नियुक्त किया गया. प्रदीप राय उर्फ प्राण नारायण कोच को सहायक महासचिव बनाया गया. दूसरी बार केएलओ के गठन के बाद राज्य सरकार के साथ बैठक करने के लिए मीडिया के माध्यम से केएलओ द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी की गयी. राज्य सरकार की ओर से कोई संकेत नहीं मिला. इसके बाद बीते वर्ष पहाड़पुर में हुए बम विस्फोट के लिए केएलओ को ही जिम्मेदार माना गया. 16 फरवरी को सिलीगुड़ी के निकट नेपाल बॉर्डर से टॉम अधिकारी, प्रदीप राय, मलखान सिंह व मंचलाल सिंह पुलिस के हाथों पकड़े गये.

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