कोलकाता: राज्य में माओवाद का प्रभाव पहले की अपेक्षा कम हो गया है. पहले पश्चिम बंगाल के तीन जिले माओवाद प्रभावित जिलों के रूप में गिने जाते थे, लेकिन केंद्र सरकार ने माओवाद जिलों के संबंध में नयी रिपोर्ट जारी की है. इसके अनुसार अब यहां के सिर्फ दो जिले ही माओवाद प्रभावित जिले के […]
कोलकाता: राज्य में माओवाद का प्रभाव पहले की अपेक्षा कम हो गया है. पहले पश्चिम बंगाल के तीन जिले माओवाद प्रभावित जिलों के रूप में गिने जाते थे, लेकिन केंद्र सरकार ने माओवाद जिलों के संबंध में नयी रिपोर्ट जारी की है.
इसके अनुसार अब यहां के सिर्फ दो जिले ही माओवाद प्रभावित जिले के अंतर्गत हैं, जबकि एक जिले को इस सूची से अलग कर दिया गया है. पहले राज्य में माओवाद प्रभावित जिलों में बांकुड़ा, पुरुलिया व पश्चिम मेदिनीपुर का नाम शामिल था, लेकिन अब इसमें से पश्चिम मेदिनीपुर का नाम हटा दिया गया है.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार की नयी सूची के अनुसार, देश में अब सिर्फ 23 जिलों में ही माओवादियों का प्रभाव है, जबकि पहले माओवाद प्रभावित जिलों की संख्या 34 थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि अब झारखंड व बंगाल की सीमा पर और अतिरिक्त केंद्रीय सुरक्षा बल के जवानों की तैनाती आवश्यक नहीं है. हालांकि केंद्र सरकार ने देश के 106 अति पिछड़े जिलों में विकास के लिए इंटीग्रेटेड एक्शन प्लान एंड सिक्यूरिटी रिलेटेड स्कीम बनायी है और इनमें अब भी पश्चिम मेदिनीपुर, बांकुड़ा व पुरुलिया के नाम शामिल हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में नयी सरकार आने के बाद से माओवादी हमले न के बराबर हुए हैं. वर्ष 2011 से अब तक छत्तीसगढ़ में 246 व बिहार में 127 माओवादी हमले हुए हैं, जबकि बंगाल में सिर्फ एक बार माओवाद हमला हुआ है.
यह हमला वर्ष 2013 में हुआ था. इस वर्ष में अब तक एक भी माओवादी हमला बंगाल में नहीं हुआ है. राज्य सरकार ने माओवादियों को मुख्यधारा में लाने के लिए जो योजना बनायी है, उसे केंद्र सरकार भी मॉडल बना कर अन्य राज्यों में लागू कर रही है.