सिलीगुड़ी: इस भारी गरमी में भी दाजिर्लिंग पर्वतीय क्षेत्र का मौसम ठंडा है, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आगमन को लेकर यहां का राजनैतिक पारा काफी गरम है. ममता बनर्जी एक सितंबर को कोलकाता से सिलीगुड़ी आ रही हैं और यहां से वह सीधे कालिम्पोंग चली जाएंगी. 2 सितंबर को कालिम्पोंग में मुख्यमंत्री की प्रशासनिक बैठक है.
वह दाजिर्लिंग पर्वतीय क्षेत्र के लिए गठित जीटीए की बैठक में शामिल होंगी और उसी दिन लेप्चा विकास परिषद की बैठक भी वह करेंगी. इसके साथ ही दाजिर्लिंग की विभिन्न समस्याओं को लेकर गोजमुमो नेताओं के साथ उनकी द्विपक्षीय बैठक भी होगी. लेकिन इस बैठक की सफलता को लेकर दाजिर्लिंग पर्वतीय क्षेत्र के लोग संदेह व्यक्त कर रहे हैं, क्योंकि जिस गोजमुमो के साथ राज्य सरकार की द्विपक्षीय बैठक होनी है उसी पार्टी के प्रमुख बिमल गुरूंग पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को लेकर दिल्ली चले गये हैं. बिमल गुरूंग के साथ गोजमुमो में दूसरे नंबर के नेता का दरजा रखने वाले रोशन गिरी भी दिल्ली चले गये हैं. गोजमुमो के विश्वस्त सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार के साथ गोजमुमो की बैठक में कोई शीर्ष नेता शामिल नहीं होगा.
इसी को ध्यान में रखते हुए बिमल गुरूंग अपने अन्य साथी नेताओं के साथ दिल्ली चले गये हैं. दिल्ली जाकर उन्होंने यह साफ संकेत दे दिया है कि राज्य सरकार के साथ द्विपक्षीय वार्ता के पक्ष में वह बिल्कुल भी नहीं हैं. इसी तरह कालिम्पोंग में जो जीटीए की बैठक होगी, उसमें भी गोजमुमो के कई वरिष्ठ सभासद शामिल नहीं होंगे. बिमल गुरूंग जब नई दिल्ली जा रहे थे तब उन्होंने स्पष्ट कह दिया था कि राज्य सरकार के साथ द्विपक्षीय वार्ता का कोई लाभ नहीं होगा. वह इससे पहले पांच बार राज्य सरकार के साथ बातचीत कर चुके हैं, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ है. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार ममता बनर्जी के पहाड़ दौरे के दौरान उनके साथ मुलाकात को टालने के लिए ही बिमल गुरूंग नई दिल्ली चले गये हैं. राजनीतिक विश्लेषकों ने बताया है कि पिछली दफा जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दाजिर्लिंग आयी थीं तब भी बिमल गुरूंग के साथ उनकी मुलाकात का कोई कार्यक्रम नहीं था. लेकिन अंतिम क्षणों में मुख्यमंत्री ने बिमल गुरूंग से मुलाकात की इच्छा जाहिर की और दोनों नेताओं के बीच बातचीत का कार्यक्रम तय हुआ. इस बार भी ऐसी स्थिति ना बने, संभवत: इसी वजह से बिमल गुरूंग दिल्ली चले गये हैं.