28.8 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

शिक्षा मंत्री की नसीहत: दबाव में आकर कोई निर्णय न लें प्रिंसिपल

कोलकाता. उच्च शिक्षा को विश्व स्तरीय बनाने के लिए शिक्षा से जुड़ी हर कड़ी को ईमानदारी व निष्ठा से काम करना होगा. शैक्षणिक संस्थानों में न केवल शिक्षक व कर्मचारियों को, बल्कि छात्रों को भी अनुशासन बनाये रखना होगा. इंजीनियर, डॉक्टर या आइएएस बनने से पहले छात्र अच्छा इंसान बनें. ऐसी मूल्य-आधारित शिक्षा प्रणाली को […]

कोलकाता. उच्च शिक्षा को विश्व स्तरीय बनाने के लिए शिक्षा से जुड़ी हर कड़ी को ईमानदारी व निष्ठा से काम करना होगा. शैक्षणिक संस्थानों में न केवल शिक्षक व कर्मचारियों को, बल्कि छात्रों को भी अनुशासन बनाये रखना होगा. इंजीनियर, डॉक्टर या आइएएस बनने से पहले छात्र अच्छा इंसान बनें. ऐसी मूल्य-आधारित शिक्षा प्रणाली को विकसित किये बिना उत्कृष्टता हासिल नहीं की जा सकती है.

उक्त बातें मर्चेंट चेंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित सेमिनार में राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहीं. हाल की घटनाओं की ओर इशारा करते हुए मंत्री ने आह्वान किया कि किसी के भी दबाव में आकर प्रिंसिपल निर्णय न लें. छात्रों की गलत मांगों के सामने न झुकें. किसी की धमकी में आकर भी कोई फैसला न लें.

छात्र यह निर्धारित नहीं कर सकते कि कौन वीसी या प्रिंसिपल बनेगा. स्कूल या कॉलेज में अनुशासन बिगाड़ने वाले को बक्शा नहीं जायेगा. मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि मीडिया केवल नकारात्मक घटनाओं को न दिखाये, बल्कि उत्कृष्ट संस्थान व उनकी उपलब्धियों को भी हाइलाइट करे.

संस्थानों में छात्रों का उत्पात या घेराव जैसी घटनाएं बंद हो
कलकत्ता यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ सुरंजन दास ने कहा कि राज्य की उच्च शिक्षा को विश्व स्तरीय बनाने के लिए सबसे पहले संस्थानों को बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर देना होगा. स्वामी विवेकानंद, सर्वपल्ली राधाकृष्णन व महात्मा गांधी के उद्वरणों का जिक्र करते हुए कहा कि शिक्षा के जरिये देश में अच्छे नागरिक तैयार करना ही शिक्षा का असली मकसद है. उच्च शिक्षा को विश्व स्तरीय बनाने के लिए यह जरूरी है कि संस्थानों में उत्पात या घेराव जैसी घटना न हो. छात्र अपनी बात रखें लेकिन गणतांत्रिक तरीके से और अनुशासन के साथ रखें. प्रेसिडेंसी यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर डॉ अनुराधा लोहिया ने कहा कि प्रतिस्पर्धा से ही उत्कृष्टता बढ़ेगी. इसके लिए संस्थानों को विदेशी छात्रों के लिए भी द्वार खोलने होंगे. उत्कृष्टता के लिए सामाजिक जिम्मेदारी भी जरूरी है. शिक्षकों व छात्रों को भी आचार-संहिता का पालन करना होगा.

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग, साइंस एंड टेक्नोलोजी (बेसू) के निदेशक डॉ अजय कुमार रे ने कहा कि बदलते समय के अनुसार पर्यावरण, समाज, उच्च शिक्षा और वैल्यू सिस्टम सब बदल रहा है. आज की पीढ़ी पर कोई भी विचार थोपा नहीं जा सकता. एमसीसीआइ के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने स्वागत भाषण दिया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें