कोलकाता: आपके एटीएम कार्ड या क्रेडिट कार्ड को ब्लॉक कर दिया गया है. कृपया अधिक जानकारी के लिए अपने निकटवर्ती बैंक की शाखा में जाकर संपर्क करें. आये दिन समय-समय पर लोगों के मोबाइल में आने वाले कुछ इस तरह के मैसेज व फोन से लोग परेशान थे.
उचित जानकारी व पहले से सतर्क होने के कारण कुछ लोग इस तरह की ठगी से बच गये, लेकिन जानकारी के अभाव में जो व्यक्ति जाल में फंस गये. उनके बैंक अकाउंट से रुपये खाली हो गये. हाल ही में महानगर के विभिन्न थाने में इस तरह की सैकड़ों शिकायतों ने कोलकाता पुलिस के अधिकारियों को परेशान कर रखा था.
इसके बाद मामले की जांच करते हुए झारखंड के करमाडा थाना अंतर्गत जामतारा जिले से कोलकाता पुलिस ने अरुण मंडल (21) को गिरफ्तार किया गया. उसे महानगर लाकर सियालदह कोर्ट में पेश करने पर छह अगस्त तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया. उससे प्राथमिक पूछताछ में पुलिस को जो जानकारी मिली इससे उनके होश उड़ गये.
ठगी के रुपये से मकान व व्यापार शुरू कर चुके हैं ठगबाज
बेलियाघाटा के निवासी व पेशे से एक व्यापारी देवाशीष ठाकुर ने इस जाल में पड़ कर 22 हजार रुपये गंवाये थे. इसके बाद इसकी शिकायत एक जुलाई को बेलियाघाटा थाने में दर्ज करायी थी. मामले को लालबाजार के बैंक धोखाधड़ी विभाग को सौंप दिया गया. जांच में पुलिस को रिचार्ज कराया गया सभी नंबर झारखंड का मिला. लालबाजार से विश्वजीत नस्कर, अमित सिंह व जीतेंद्र प्रसाद के नेतृत्व में एक टीम झारखंड रवाना हुई. वहां एक सप्ताह की कड़ी मेहनत के बाद अरुण को गिरफ्तार कर लिया गया. कोलकाता पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि झारखंड में करमाडा थाना अंतर्गत जामतारा एक ऐसा गांव है, जिस गांव के पूरे लोग इसी ठगी के धंधे पर गुजर बसर कर रहे हैं. इस रुपये से किसी ने मकान बना लिया है. कोई नया व्यापार शुरू कर दिया है. लिहाजा लोगों की जागरूक होने पर ही इस तरह के गिरोह अपने काम में नाकामी हासिल करेंगे.
इस तरह के कॉल से सतर्क रहे व्यक्ति
संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) पल्लव कांति घोष का कहना है कि इस तरह के मामलों से सीख लेते हुए लोग सतर्क रहे. इस तरह के किसी भी तरह का फोन आने पर उससे बच कर रहे. पुलिस अपने सिरे से इस संबंध में टेलीकॉम कंपनियों व रिजर्व बैंक को पत्र देकर उनसे इस संबंध में बातचीत करेगी.
कैसे करते थे ठगी
संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) पल्लव कांति घोष ने बताया कि यह गिरोह लोगों को मोबाइल में मैसेज देते थे कि आपके बैंक के कार्ड को ब्लॉक कर दिया गया है. मोबाइल पर मैसेज आने के कुछ ही देर में किसी युवक का उस नंबर पर फोन जाता था. फोन में वह खुद को बैंक का कस्टमर केयर प्रतिनिधि बता कर ग्राहक के ब्लॉक कार्ड को खोलने का ऑफर देकर उनसे उनका कार्ड नंबर, नाम व कार्ड की तिथि के बाद अंत में पिन नंबर मांग लेते थे. विभिन्न टेलीकॉम कंपनियों द्वारा उपलब्ध मोबाइल में मनी ट्रांसफर की तकनीक के जरिये ये उन ग्राहकों के कार्ड से अपने मोबाइल में रुपये मंगवा लेते थे. फिर रुपया कई मोबाइल से गुजर कर बैंक अकाउंट में डाल दिये जाते थे.