कोलकाता: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 21 जुलाई की अपनी रैली में सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर जोरदार हमला बोला. उन्होंने कहा कि अगले लोकसभा चुनाव में उसकी (भाजपा की) सीटों की संख्या दो से घटकर शून्य हो जायेगी. धर्मतल्ला में आयोजित शहीद स्मृति रैली में ममता ने कहा कि सत्ता में आने के एक महीने के भीतर ही केंद्र ने पेट्रोल, डीजल की कीमतों में इजाफे के अलावा रेल किराये में भी वृद्धि कर दी. जबकि चुनाव के वक्त भाजपा ने लोगों से कुछ और ही वादा किया था. अब वह कुछ और ही कर रही है. इसके खिलाफ लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन किया जायेगा.
भाजपा पर करारा हमला बोलते हुए उनका कहना था कि पहले राज्य में भाजपा के पास लोकसभा की एक ही सीट थी. अब उसे एक और सीट मिल गयी है. दो ही सीटें मिलने पर वह इतना शोर-शराबा मचाने लगी है. झूठ फैलाया जाने लगा है. उनकी सीटों की संख्या दो से तीन कभी नहीं होगी. अगली बार उनकी सीटों की संख्या दो से घटकर जीरो (शून्य) हो जायेगी. ममता ने कहा कि राज्य में सांप्रदायिक पार्टी के लिए कोई स्थान नहीं है. उन्होंने कहा कि राज्य में कई स्थानों पर दंगे भड़काने का प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए वह लोगों से सतर्क रहने के लिए कह रही हैं. आसपास नजर रखने की जरूरत है.
गौरतलब है कि 21 जुलाई 1993 को राज्य सचिवालय राइटर्स बिल्डिंग के घेराव के दौरान पुलिस फायरिंग में युवा कांग्रेस के 13 कार्यकर्ताओं की मौत हो गयी थी. तब से ममता हर साल 21 जुलाई को शहीद स्मृति रैली का आयोजन करती हैं. ममता तब कांग्रेस में थीं. तृणमूल कांग्रेेस ने इस साल शहीद स्मृति दिवस को ‘मा माटी मानुष दिवस’ नाम दिया था.
चार विधायक तृणमूल में शामिल
धर्मतल्ला में सोमवार को तृणमूल कांग्रेस के शहीद स्मृति रैली के दौरान कांग्रेस के तीन और माकपा के एक विधायक मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मौजूदगी में उनकी पार्टी में शामिल हो गये. तृणमूल का दामन थामने वालों में कांग्रेस विधायक असित माल (हासन), गोलाम रब्बानी (गोआलपोखर), उमापद बाउड़ी ( पारा, पुरुलिया) और पश्चिमी मेदिनीपुर जिले की चंद्रकोना सीट से माकपा विधायक छाया दोलुई शामिल हैं. 2011 के विधानसभा चुनाव के बाद से सात कांग्रेस विधायक तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं. कांग्रेस विधायकों की संख्या 42 से घटकर 35 हो गयी है. वहीं माकपा विधायकों की संख्या भी 40 से घट कर 39 हो गयी है.
तृणमूल, भाजपा को सांप्रदायिक पार्टी कहती हैं, लेकिन शहीद दिवस पर ममता ने वंदे मातरम का उद्घोष नहीं किया, बल्कि एक धार्मिक नारा दिया. तृणमूल खुद सांप्रदायिक है. तृणमूल अब भाजपा से डरने लगी है.
राहुल सिन्हा, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा