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जेइइ को मिला स्वायत्त अधिकार

कोलकाता. राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने गुरुवार को विधानसभा में पश्चिम बंगाल ज्वायंट एंट्रेंस एग्जाम (डब्लूबीजेइइ) 2014 नामक नया बिल पेश किया, जिसे पास कर लिया गया. इस विधेयक के पास होने से अब जेइइ को स्वायत्त अधिकार मिल गया है, अब वह इस परीक्षा का आयोजन स्वयं कर सकती है. इसके लिए […]

कोलकाता. राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने गुरुवार को विधानसभा में पश्चिम बंगाल ज्वायंट एंट्रेंस एग्जाम (डब्लूबीजेइइ) 2014 नामक नया बिल पेश किया, जिसे पास कर लिया गया. इस विधेयक के पास होने से अब जेइइ को स्वायत्त अधिकार मिल गया है, अब वह इस परीक्षा का आयोजन स्वयं कर सकती है. इसके लिए अब किसी अन्य विभाग की अनुमति लेनी जरूरी नहीं है.

गौरतलब है कि इस बिल को पहले भी विस में पेश किया गया था, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष विमान बनर्जी ने इस बिल की जांच के लिए इसे सेलेक्ट कमेटी के पास भेज दिया था और आठ जुलाई को 19 सदस्यीय कमेटी ने बिल के प्रावधानों की जांच कर रिपोर्ट पेश की थी. इसके बाद शिक्षा मंत्री ने फिर से इस विधेयक को पेश किया गया, जिसे पास कर लिया गया.

मदरसा के सभी शिक्षा श्रेणी एक पर्षद के अंतर्गत

राज्य में मदरसा शिक्षा के तहत सभी स्तर के शिक्षण सेक्शनों को एक पर्षद के अंतर्गत लाया जायेगा. इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से गुरुवार को विधानसभा में पश्चिम बंगाल मदरसा शिक्षा (संशोधन) बिल, 2014 पेश किया गया, जिसके तहत अब मदरसा के प्राथमिक शिक्षा सेक्शन को भी हाई मदरसा के शिक्षा प्रणाली से जोड़ दिया गया, जिससे यह भी अब बोर्ड के अंतर्गत शामिल हो गया. राज्य के सभी प्राइमरी मदरसा को हाई मदरसा से मान्यता प्रदान करने के लिए सरकार ने यह पहल की है. इसके साथ ही अल्पसंख्यक मामलों के विभाग द्वारा चलाये जानेवाले शिशु शिक्षा केंद्रों को भी मदरसा शिक्षा विभाग से साथ जोड़ दिया गया है. अब से अल्प संख्यक मामलों के विभाग के अधीन चल रहे शिशु शिक्षा केंद्र व मदरसा प्राइमरी स्कूल, पश्चिम बंगाल मदरसा शिक्षा बोर्ड के अंतर्गत शामिल हो गये.

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