कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आखिरकार रेल किराये में वृद्धि पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए विधानसभा में कहा कि रेल किराये में वृद्धि करने से पहले केंद्र सरकार ने आम जनता के बारे में नहीं सोचा है.
आम जनता को हो रही समस्याओं को ध्यान में रखते हुए रेल किराये में यह हुई ‘ अभूतपूर्व व जन-विरोधी ’ है, इसलिए उन्होंने इसे केंद्र सरकार से वापस लेने की मांग की. विधानसभा में मुख्यमंत्री ने कहा कि रेलवे के यात्री और माल किराये में वृद्धि ने जनता के लिए दिक्कतें पैदा कर दी हैं. जब लोकतांत्रिक सरकार सत्ता में आती है तो कुछ वादों के बल पर आती है. लेकिन आज की राजनीति में की यह कमी है कि राजनीतिक दल चुनाव से पहले जो कहते हैं, सत्ता में आने के बाद उस पर अमल नहीं करते.
मुख्यमंत्री ने भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र के अनुसार किये गये ‘ अच्छे दिन ’ के संबंध में चुटकी लेते हुए कहा कि राजनीतिक दल अपने चुनावी घोषणापत्र में ‘ अच्छे दिन ’ के बारे में बात करते हैं, लेकिन सत्ता में आने के बाद जो फैसले लेते हैं वह जन-विरोधी होते हैं. उन्होंने कहा कि यदि राजनीतिक दलों की योजना ऐसे कठोर फैसले लेने की है तो उन्हें जनता को बताना चाहिए कि वह ऐसे निर्णय लेंगे. रेलवे ने पिछले सप्ताह यात्री और माल किराये की दर में क्रमश: 14.2 और 6.5 प्रतिशत की वृद्धि की. इससे रेलवे को 8,000 करोड़ रुपये की वार्षिक आय होगी. ममता ने कहा कि बतौर रेल मंत्री अपने कार्यकाल में उन्होंने यात्री या माल किराये को छुआ तक नहीं क्योंकि अंतत: इसका प्रतिकूल प्रभाव जनता पर ही पड़ता. मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके पास सूचना है कि केंद्र घरेलू गैस सिलेंडरों पर वर्तमान में मिल रही सब्सिडी भी वापस ले सकती है. उन्होंने कहा कि रेल किराये में वृद्धि का अर्थ है अन्य जरूरी वस्तुओं के मूल्य में बढ़ोतरी. इस फैसले का असर लोगों की जेबों पर पड़ेगा और अंतत: यह आम लोगों की रसोई को प्रभावित करेगा. फिर अंत में अपनी टिप्पणी शेष करते वक्त उन्होंने कहा कि वह रेल किराये में हुई वृद्धि का विरोध कर रही हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि वह केंद्र सरकार के खिलाफ है. लेकिन केंद्र की जनविरोधी नीतियों का तृणमूल कांग्रेस कतई समर्थन नहीं करेगी.
रेल किराया वृद्धि के खिलाफ सभी एकजुट
केंद्र सरकार द्वारा रेल किराये में वृद्धि के खिलाफ भाजपा विरोधी सभी पार्टियां एक हो गयी हैं. सोमवार को विधानसभा में सर्व सम्मति से रेल भाड़े में बढ़ोतरी के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित हुआ. पश्चिम बंगाल विधानसभा ने रेल मंत्रलय से रेल किराया वृद्धि संबंधी फैसला तत्काल वापस लेने की मांग की. इस संबंध में प्रस्ताव पेश करते हुए राज्य में संसदीय मामलों के मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि किराये में यह अब तक की सबसे अप्रत्याशित और अभूतपूर्व बढ़ोतरी है. सदन केंद्र सरकार के निर्णय की कड़ी निंदा करता है और इसे तत्काल वापस लेने की मांग करता है. प्रस्ताव में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने माल भाड़ों और यात्री किरायों में क्रमश: 6.5 प्रतिशत और 14.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर हाल ही में अभूतपूर्व हालात पैदा कर दिया है. इससे आवश्यक वस्तुओं के दामों में तेजी आयेगी, जिससे करोड़ों भारतीयों की मुश्किल बढ़ेगी. तृणमूल कांग्रेस के विधायक और शहरी विकास मंत्री फिरहाद हाकिम, कांग्रेस विधायक असित मित्र, मनोज चक्रवर्ती, एसयूसीआइ के तरुण नष्कर और गोजमुमो के हरका बहादुर छेत्री ने प्रस्ताव का समर्थन किया. वहीं, माकपा के विधायक अनिसुर रहमान ने भी इस संबंध में विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया, जिसे स्वीकार कर लिया गया.