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कच्‍चा लीची न खायें बच्चे

कोलकाता: स्वास्थ्य राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य की मानें तो मालदा में बच्चों की मौत कच्च लीची खाने से हुई है. उन्होंने बच्चों को कच्च लीची नहीं खाने देने की सलाह दी है. बुधवार को राज्य विधानसभा में मालदा जिले में पिछले दिनों बच्चों की मौत के संबंध में सवालों का जवाब देते हुए स्वास्थ्य राज्य […]

कोलकाता: स्वास्थ्य राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य की मानें तो मालदा में बच्चों की मौत कच्च लीची खाने से हुई है. उन्होंने बच्चों को कच्च लीची नहीं खाने देने की सलाह दी है.

बुधवार को राज्य विधानसभा में मालदा जिले में पिछले दिनों बच्चों की मौत के संबंध में सवालों का जवाब देते हुए स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने कहा कि बच्चों की मौत कच्च लीची खाने की वजह से हुई है. गौरतलब है कि मालदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में छह जून के बाद से अब तक 14 बच्चों की अज्ञात बीमारी से मौत हो चुकी है. बच्चे तेज बुखार, शरीर में ऐंठन और उल्टी की शिकायत को लेकर अस्पताल में भरती कराये गये. ज्यादातर बच्चे जिले के कालियाचक से लाये गये थे, जहां लीची की खेती ज्यादा होती है. अस्पताल में अब भी कई बच्चों का इलाज चल रहा है. चिकित्सकों का मानना है कि वायरस ने बच्चों की जान ली है. यह वायरस लीची से फैलने की आशंका जतायी जा रही है.

चंद्रिमा भट्टाचार्य ने बच्चों के इलाज में लापरवाही से इनकार करते हुए कहा कि घटना हमारे लिए काफी दुखद है, लेकिन मालदा मेडिकल कॉलेज में बच्चों को बचाने के लिए हर संभव कोशिश की गयी. घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग व स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन के विशेषज्ञों ने प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया और अस्पताल में दाखिल अन्य बच्चों के खून का नमूना लिया. जिससे साफ पता चलता है कि इन बच्चों के शरीर में टॉक्सिन की मात्र अधिक थी. इसी प्रकार की टॉक्सिन कच्च लीची में भी पायी गयी है. हालांकि पके हुए लीची में इस प्रकार की टॉक्सिन नहीं मिली है. इसलिए अब उन्होंने लोगों को कच्च लीची नहीं खाने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि वाममोरचा के कार्यकाल के दौरान भी राज्य में इस प्रकार की घटना हुई थी. उन्होंने बिहार के मुजफ्फरपुर का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां सबसे अधिक मात्र में लीची का उत्पादन होता है और वहां भी इस प्रकार की समस्या देखने को मिली है.

विपक्ष ने की विस्तृत जांच की मांग

स्वास्थ्य राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य के बयान पर विधानसभा में विपक्ष के नेता व पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ सूर्यकांत मिश्र ने कहा कि जब उनके (वाम मोरचा) शासन में इस प्रकार की घटना हुई थी तो जांच में पता चला था कि लीची के पेड़ों पर कीटनाशकों का छिड़काव किया गया था, वह जानलेवा था. उसके कारण ऐसी घटना हुई थी. लेकिन अब हमें नयी जानकारी मिल रही है. इस प्रकार की घटना उन्होंने कभी नहीं देखी या सुनी है. पहले राज्य सरकार की ओर से बयान जारी किया गया था कि वायरस के कारण ऐसा हुआ है, लेकिन अब राज्य सरकार कच्च लीची में टॉक्सिन होने की बात कह रही है. उन्होंने राज्य सरकार से मामले की विस्तृत जांच करने की अपील की, ताकि बीमारी से निपटा जा सके.

कम हुए लीची के दाम

बच्चों की मौत के कारण के रूप में लीची का नाम आते ही बाजार में इसकी मांग और कीमत दोनों कम हो गयी है. करीब 10 दिन पहले तक यहां लीची की कीमत 80-100 रुपये प्रति किलो के बीच थी, लेकिन अब यह 30-40 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रही है, उसके बावजूद बाजार में लीची के खरीददार काफी कम हैं.

क्या कहा मंत्री ने

बच्चों की मौत कच्च लीची खाने की वजह से हुई है. मालदा मेडिकल कॉलेज में बच्चों को बचाने के लिए हर संभव कोशिश की गयी. घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग व स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन के विशेषज्ञों ने प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया और अस्पताल में दाखिल अन्य बच्चों के खून का नमूना संग्रह किया. जिससे साफ पता चलता है कि इन बच्चों के शरीर में टॉक्सिन की मात्र अधिक थी और इसी प्रकार की टॉक्सिन कच्च लीची में भी पायी गयी है. हालांकि पके हुए लीची में इस प्रकार के टॉक्सिन नहीं पाये गये हैं.

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