कोलकाता: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 26 मई को प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत नहीं करेंगी. ममता ने मोदी के शपथ ग्रहण समारोह का बायकाट करने का फैसला किया है.
गौरतलब है कि राष्ट्रपति भवन में 26 मई को आयोजित होने वाले समारोह में मोदी प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे. परंपरा के अनुसार, मनोनीत प्रधानमंत्री से पूछ कर ही आमंत्रित मेहमानों की सूची बनायी जाती है. खुद मोदी के कहने पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को शपथ ग्रहण समारोह के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन मुख्यमंत्री ने समारोह में जाने से साफ इनकार कर दिया है. मुख्यमंत्री ने आमंत्रण पत्र को लेकर कहीं जिक्र भी नहीं किया है.
समारोह में तृणमूल कांग्रेस की ओर से कोई प्रतिनिधि जायेगा या नहीं, इस संबंध में भी अब तक पार्टी की ओर से साफ कुछ नहीं कहा गया है. गौरतलब है कि वर्ष 1996 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने भी प्रधानमंत्री के रूप में भाजपा नेता अटल बिहारी वाजपेयी के शपथ ग्रहण समारोह का आमंत्रण ठुकरा दिया था. तब भाजपा समर्थित एनडीए ने उन्हें आमंत्रित किया था. वाममोरचा ने कहा था कि वह एनडीए सरकार को शुभकामना न दिया है और न ही देंगे.
मोदी-ममता में हुई थी जुबानी जंग
लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी और ममता बनर्जी में जमकर जुबानी जंग चली थी. मोदी ने ममता पर वोट बैंक की राजनीति करने और बांग्लादेशी घुसपैठियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया था. वहीं मुख्यमंत्री ने भी मोदी पर समाज को बांटने की कोशिश करने का आरोप लगा कर पलटवार किया था. इस जुबानी जंग से माना जा रहा है कि भाजपा और तृणमूल कांग्रेस दोनों को सियासी फायदा हुआ. जहां तृणमूल कुल 42 सीटों में 34 पर जीत हासिल करने में कामयाब हुई, वहीं भाजपा को न केवल दो सीटें मिली, बल्कि उसके मत प्रतिशत में भारी इजाफा हुआ. उसे 17 फीसदी वोट मिले हैं और तीन लोकसभा सीटों पर वह दूसरे नंबर पर रही.