कोलकाता: केंद्र सरकार ने 2013 में नया कंपनी एक्ट लागू किया है, लेकिन सबसे आश्चर्य की बात है कि इसे लागू करने से पहले संसद में पेश भी नहीं किया गया और इसे लागू कर दिया गया है, लेकिन जिस प्रकार से इस कानून को लागू किया जा रहा है.
इससे देश की अर्थ व्यवस्था पर खतरा हो सकता है, क्योंकि अब किसी भी कंपनी के ऑडिट कार्य में कंपनी सेक्रेटरी व कॉस्ट एकाउंट के प्रमाण पत्र की आवश्यकता ही नहीं होगी. चार बड़ी बदनाम ऑडिट कंपनियों के बढ़ावे के लिए केंद्र सरकार ने ऐसा किया है. अब देश के अधिकांश बड़े कॉरपोरेट घरानों का ऑडिट पीडब्लूसी, केपीएमजी व डेलॉयट जैसी कंपनियां करती हैं, जिन पर पहले ही कई देशों की सरकार ने जुर्माना लगाया है.
इसलिए केंद्र सरकार के इस कंपनी एक्ट के खिलाफ इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेट्रीज ऑफ इंडिया (आइसीएसआइ) के सदस्यों ने आंदोलन करने का फैसला किया है. आइसीएसआइ की कोलकाता शाखा में सभी सदस्यों ने धरना प्रदर्शन किया. इस संबंध में बुधवार को आइसीएसआइ के सदस्य व कलकत्ता हाइकोर्ट के अधिवक्ता अखिलेश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि जहां एक ओर देश में आर्थिक घोटाले बढ़ रहे हैं, ऐसे में कंपनी सेक्रेटरी व कॉस्ट एकाउंट की ऑडिट प्रक्रिया से भूमिका ही हट जाने पर देश को और भी नुकसान होगा.
उन्होंने केंद्र सरकार से पांच करोड़ व उससे अधिक की पूंजी वाली कंपनियों, वित्तीय संस्थाओं में ऑडिट प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए सीएस व कॉस्ट एकाउंट की नियुक्ति करनी होगी. इस संबंध में आइसीएसआइ की ओर से देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री कार्यालय में पत्र भेजा गया है. अब आनेवाले समय में संस्थान ने आइसीडब्ल्यूए के सदस्यों के साथ मिल कर पूरे देश में आंदोलन करेगी. मौके पर सीएस विवेक मिश्र, सीएस मौसमी बनर्जी, सीएस ईषा नाहाटा, सीएस दीपक पांडेय, सीएस विनीत ठाकुर व सीएस सुमित देवरालिया सहित सैकड़ों कंपनी सेकेट्ररी उपस्थित रहे.