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इकबालपुर कांड: शवों को लेकर तृणमूल नेताओं ने की खींचतान!

कोलकाता/ हावड़ा: इकबालपुर में मां और दो बेटियों की नृशंस हत्या को लेकर सोमवार रात को गम और गुस्से के बीच हावड़ा के बांधाघाट श्मशान में शवों का अंतिम संस्कार कर दिया गया. इससे पहले, उत्तर 24 परगना के मध्यमग्राम की नाबालिग लड़की से सामूहिक दुष्कर्म के बाद जला कर मार देने की घटना के […]

कोलकाता/ हावड़ा: इकबालपुर में मां और दो बेटियों की नृशंस हत्या को लेकर सोमवार रात को गम और गुस्से के बीच हावड़ा के बांधाघाट श्मशान में शवों का अंतिम संस्कार कर दिया गया. इससे पहले, उत्तर 24 परगना के मध्यमग्राम की नाबालिग लड़की से सामूहिक दुष्कर्म के बाद जला कर मार देने की घटना के बाद जिस तरह शव को लेकर खींचतान हुई थी, कुछ उसी तरह का सुलूक पुष्पा सिंह (37), प्रदीप्ति सिंह (14) और आराधना सिंह (12) के शव के साथ भी हुआ.

सोमवार को एसएसकेएम अस्पताल से पोस्टमाटर्म के बाद शवों को परिवारवालों के हवाले कर दिया गया. हावड़ा ले जाने के बाद तृणमूल नेताओं ने कथित तौर पर शवों को अपने कब्जे में ले लिया. परिवारवालों की एक न सुनी गयी. पुलिस भी मूकदर्शक बनी रही. स्थानीय लोग भी हैरान रह गये. बाद में हंगामे के बीच रात में अंत्येष्टि कर दी गयी. उधर, हत्या के चार आरोपियों में से दो मोहम्मद सिकंदर और आमीन को सोमवार को अलीपुर कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 27 अप्रैल तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया. इस जघन्य हत्याकांड से गुस्साए लोगों ने अलीपुर कोर्ट के बाहर प्रदर्शन किया और दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग की. दो अन्य आरोपियों आसिफ हामजा और नूर हुसैन को नाबालिग होने के चलते जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में पेश किया गया, जहां से उन्हें सुधार गृह में भेज दिया गया.

गौरतलब है कि इकबालपुर में फ्लैट कब्जाने की नीयत से विधवा महिला और उनकी दो बेटियों की नृशंस हत्या का सनसनीखेज मामला रविवार को सामने आया. यूपी के गाजीपुर के रहने वाले पारसनाथ सिंह ने अपनी बेटी पुष्पा और दो नातिनों के 29 मार्च से गायब होने की शिकायत इकबालपुर थाने में दर्ज करायी थी. पुलिस ने पहले मामले को गंभीरता से नहीं लिया. शनिवार को चार लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ के बाद जघन्य घटना का परदाफाश हुआ. फ्लैट में रहने वाली महिला पुष्पा सिंह और उनकी दो बेटियों की हत्या कर बदमाशों ने शवों को घर के पास ही एक दुकान में दफना दिया था. खुदाई कर रविवार को शव निकाले गये. उधर, इस घटना को लेकर सियासत भी तेज हो गयी है. मामले में पुलिस के टालमटोल के रवैये को तृणमूल के विरोधी चुनावी मुद्दा बना रहे हैं. खास कर हिंदीभाषी क्षेत्रों में इस मुद्दे को उठाया जा रहा है. हावड़ा, हुगली, कोलकाता और उत्तर 24 परगना में अच्छी-खासी तादाद में हिंदीभाषी हैं. तृणमूल विरोधियों का कहना है कि मध्यमग्राम की घटना की तरह इकबालपुर कांड में भी पुलिस का रवैया निंदनीय है.

भीड़-हंगामे के बीच शवों का अंतिम संस्कार
शवों के हावड़ा पहुंचने पर कोहराम मच गया. सलकिया के खेत्र मित्र लेन में पुष्पा का ससुराल है. तीन शव वाहक वाहनों में सफेद चादर में लिपटे शवों को देख कर परिजनों के साथ पड़ोसी भी बिलख पड़े. बूढ़ी सास दुर्गावती देवी बहू व दो पोतियों के शव के सामने फूट-फूट कर रो रही थीं. एक तरफ परिवार के लोग बिलख रहे थे, वहीं जल्द से जल्द अंत्येष्टि को लेकर तृणमूल नेताओं की खींचतान सामने आ गयी. पुष्पा सिंह के जेठ प्रवीण सिंह की दुकान हावड़ा एसी मार्केट के सामने है. प्रवीण के अनुसार, शव वाहक वाहनों को थोड़ी देर के लिए यहां रोकना चाहते थे. दुकान के सामने शवों के पहुंचने से पहले ही बड़ी संख्या में पुलिस वहां तैनात कर दी गयी. एमआइसी व पार्षद गौतम चौधरी के अलावा कई पार्षद व उत्तर हावड़ा के सैकड़ों तृणमूल कार्यकत्र्ता दुकान के सामने पहुंच गये. शाम सात बजे शव वाहक गाड़ियों की आवाज सुनते ही गौतम चौधरी व बाकी तृणमूल समर्थकों ने शवों को अपने कब्जे में ले लिया. प्रवीण सिंह गाड़ियों को दुकान के सामने रोकना चाहते थे.

लेकिन इससे पहले कि वे कुछ कह पाते, तीन गाड़ियों को अपने कब्जे में लेकर तृणमूल कार्यकर्ता खेत्र मित्र लेन की ओर रवाना हो गये. पीछे-पीछे रैफ व पुलिस के जवान दौड़ रहे थे. राहगीरों के बीच दहशत फैल गयी. मौके पर एसीपी शिवानी तिवारी भी थीं. प्रवीण सिंह ने एसीपी से बात करने की कोशिश की लेकिन तृणमूल कार्यकर्ताओं के सामने सभी विवश नजर आये. प्रवीण सिंह ने बताया कि वह कुछ भी कहने की हालत में नहीं हैं. क्या हुआ, यह सबने देखा है. उधर, तृणमूल के एक नेता का कहना था कि उन्हें शक था कि भाजपा शवों को लेकर राजनीतिक कर सकती है. माहौल न बिगड़े, इसलिए शवों को जल्दी श्मशान घाट ले जाया गया. रात में ही बांघाघाट पर शवों का अंतिम संस्कार कर दिया गया.

मध्यमग्राम का जख्म फिर हुआ ताजा
इकबालपुर की घटना ने मध्यमग्राम की जघन्य वारदात का दुस्वप्न फिर ताजा कर दिया है. मध्यमग्राम की घटना में भी पुलिस की लापरवाही सामने आयी थी. बिहार के समस्तीपुर की रहने वाली नाबालिग लड़की से दो बार सामूहिक दुष्कर्म के बाद बदमाशों ने लड़की को जला कर मार डाला. लड़की के पिता की गुहार पर यदि पुलिस कार्रवाई करती तो शायद उस लड़की को बचाया जा सकता था. इकबालपुर की घटना में भी पुलिस की लापरवाही सामने आयी है. महिला पुष्पा के पिता ने 29 मार्च को बेटी और नातिनों के गायब होने की शिकायत दर्ज करायी थी. पर, 15 दिन बाद घटना का परदाफाश हुआ.

आरोपियों के पक्ष में खड़ा नहीं हुए वकील
सोमवार को पेशी के लिए आरोपी सिकंदर व आमीन को अलीपुर कोर्ट में पुलिस वैन में लाया गया. कोर्ट के बाहर लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग की. आरोपियों की हैवानियत को देखते हुए कोई वकील उनके बचाव में खड़ा नहीं हुआ. अलीपुर बार एसोसिएशन के असिस्टेंट सेक्रेटरी पार्थ सारथी मुखर्जी ने कहा कि जिस तरह का जघन्य अपराध हुआ है उसे देखते हुए आरोपियों के पक्ष में पैरवी नहीं करने का निर्णय लिया गया है. उधर, अदालत में सरकारी अधिवक्ता सौरेन घोषाल ने कहा कि आरोपियों के पास से हत्या में इस्तेमाल हथियार नहीं मिला है. पीड़िता का मोबाइल व उस ट्रंक को भी पुलिस ने बरामद नहीं किया है, जिसमें शवों को ले जाया गया था. दोनों की पुलिस रिमांड मांगी गयी. अदालत ने दोनों को 27 अप्रैल तक पुलिस हिरासत में भेज दिया.

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