कोलकाता. राज्य के मालदा जिले में पिछले दिनों एक महिला से कथित दुष्कर्म के बाद उसे कंगारु अदालत द्वारा अपमानित किए जाने के पश्चात उसके आत्महत्या कर लेने की घटना का कलकत्ता उच्च न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लिया.
कंगारु अदालत ने कथित तौर पर पीड़िता का चरित्र हनन किया था. मुख्य न्यायाधीश अरुण मिश्र और न्यायमूर्ति जयमाल्य बागची की खंडपीठ ने मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए जिला प्रशासन ने रिपोर्ट तलब की. न्यायालय ने यह फैसला उस वक्त किया जब वकील विकास भट्टाचार्य और उदय शंकर चटर्जी ने खंडपीठ का रुख किया और अखबार की कतरनें दिखाकर न्यायाधीशों का ध्यान इस ओर दिलाया. तीन बच्चों की मां 30 वर्षीय महिला से एक अप्रैल की रात नवीन मंडल नाम के एक 21 वर्षीय युवक ने कथित तौर पर दुष्कर्म किया था. नवीन ने महिला के पति की गैर-मौजूदगी में उसके घर में घुस कर उससे कथित दुष्कर्म किया.
अगले दिन सुबह महिला के पति ने जब घटना पर विरोध जताया तो मानिकचक पुलिस थाने के तहत आने वाले बासनटोला गांव की एक कंगारु अदालत ने महिला और आरोपी को बुलाया और आरोपी से कहा कि वह महिला के पांव छूकर उससे माफी मांगे. एक गंभीर अपराध को हल्के-फुल्के तौर पर लेने की कोशिश से आक्रोशित दंपती ने माफी स्वीकार करने से इनकार कर दिया जिसके बाद कंगारु अदालत के सदस्यों ने कथित तौर पर उसका नाम लेकर चरित्र हनन किया. इस अपमान को सहन कर पाने में असमर्थ महिला ने बुधवार की सुबह खुद को आग के हवाले कर लिया और उसी दिन एक अस्पताल में उसने दम तोड़ दिया. पुलिस ने नवीन की मां और उसके चाचा को हिरासत में ले लिया है.