Varanasi News: कथानक सम्राट और उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद के अधूरे सपने जिसमें उन्होंने अपने गांव लमही में तिरंगा फहराने का स्वप्न देखा था. उस स्वप्न को पूरा करते हुए विशाल भारत संस्थान द्वारा घर घर तिरंगा, हर घर तिरंगा अभियान के तहत शुभारम्भ करते हुए सुभाष भवन से प्रेमचंद के जन्मस्थान तक तिरंगा यात्रा निकाली गई. मुंशी प्रेमचंद का सपना था कि वे तिरंगे को अपने घर पर फहराएं. इसे आज पूरा करते हुए विशाल भारत संस्थान ने लमही गांव को तिरंगा रंग में रंग दिया.
बैण्ड बाजे के साथ निकली तिरंगा यात्रा
महान उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद को अपने अंतिम समय में यह कसक जरूर थी कि काश देश आजाद हो जाता तो घर पर तिरंगा फहरा पाते. रिश्ते–नाते से भरा मुंशी प्रेमचंद का लमही गांव आज भी वैसे ही है जैसे वे 1936 में छोड़कर इस दुनियां को अलविदा कह गए. मुंशी जी ने देश के लिए अंतिम सांस ली, देश के लिए लिखते रहे, अंग्रेजों की आंख में खटकते रहे लेकिन हार नहीं माने. मुंशी जी का सपना अपने तिरंगे को अपने घर पर सिर्फ फहराने का नहीं, बल्कि उसको सलामी देने का था. भले ही उनके जाने के 11 साल बाद आजादी मिली हो, लेकिन उनके सपने को विशाल भारत संस्थान के माध्यम से आरएसएस के शीर्ष नेता इंद्रेश कुमार ने मुंशी प्रेमचन्द्र के जन्मदिन पर उनके जन्मस्थली पर तिरंगा फहराकर पूरा किया.

लमही गांव में सुभाष भवन से मुंशी प्रेमचंद के जन्मस्थली तक बैण्ड बाजे के साथ तिरंगा यात्रा 'घर घर तिरंगा, हर घर तिरंगा' अभियान के साथ निकला. 'भारत माता की जय, वंदे मातरम, मुंशी प्रेमचंद अमर रहें' नारों के साथ इन्द्रेश कुमार ने 'घर घर तिरंगा, हर घर तिरंगा' अभियान की शुरुआत कर मुंशी प्रेमचंद के पुस्तैनी घर पर पहुंचे. वहां उन्होंने उनके घर पर तिरंगा फहराकर उनकी इच्छा पूरी की. सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी, पत्रकार, बच्चे एवं महिलाएं बहुत उत्साहित थे. उनको लग रहा था कि आज उन्हीं के गांव के सभी लोग उनके जन्मदिन पर उनकी इच्छा पूरी करने जा रहे हैं. लमही गांव के घर-घर पर तिरंगा फहराया गया.
साहित्य की प्रयोगशाला बनानी चाहिए
इस अवसर पर इंद्रश कुमार ने कहा कि आज मुंशी प्रेमचंद की आत्मा जरूर प्रसन्न होगी कि मुंशी जी के गांव के लोग उनके जन्मदिन पर तिरंगा फहरा रहे हैं. मुंशी जी के योगदान को ये दुनिया कभी भूला नहीं सकती. उनकी महान कृतियों को देशवासी अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए हमेशा पढ़ते रहेंगे. पंच परमेश्वर से न्याय, ईदगाह से गरीबी का दर्द, पूस की रात से किसान की चिंता, मंत्र से अमीरी और गरीबी का फर्क, कफन से नशे की आदत जैसे सामाजिक मुद्दों के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना जगाने वाले मुंशी जी पूरी दुनिया के साहित्यकारों में सबसे ऊपर खड़े हैं. उनका नाम दुनिया के साहित्यकारों में सबसे ऊपर है. मुंशी जी के अमर कृतियों के अमर चरित्र आज भी लमही गांव में कहीं न कहीं दिख जाते हैं. लमही गांव को राष्ट्रभक्ति के साहित्य की प्रयोगशाला बनानी चाहिए.

अंग्रेजों की कड़ी निगाह तब लमही पर थी
विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के लिए मुंशी जी का गांव लमही सदैव गवाही देता रहेगा. हम मुंशी जी के कृतज्ञ हैं कि उन्होंने सामाजिक चेतना और मानवीय संवेदना को उस समय विकसित किया, जब अंग्रेजी हुकूमत का दौर था. अंग्रेजों की कड़ी निगाह तब लमही पर थी कि कहीं मुंशी जी का गांव बागी न बन जाए और तिरंगा न फहरा दे. आज इंद्रेश कुमार ने पूरे गांव में तिरंगा फहराकर उनकी इच्छा का सम्मान किया. उनकी महान कृतियां हमारी पीढ़ियों को देश और समाज का पाठ पढ़ाती रहेंगी.
रिपोर्ट : विपिन सिंह