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दलित की बेटी को रोकने के लिए सभी विपक्षी दल एकसाथ

।।राजेन्द्र कुमार ।। लखनऊः बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने बुधवार को यहाँ रमाबाई आंबेडकर मैदान में पार्टी की राष्ट्रीय सावधान विशाल महारैली कर लोकसभा चुनाव का शंखनाद कर दिया. अपने 58वें जन्मदिन के मौके पर मायावती ने कड़ाके की ठंड़ में यहां लाखों लोगों को लाकर अपना दबदबा तो दिखाया ही, उन्होंने […]

।।राजेन्द्र कुमार ।।

लखनऊः बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने बुधवार को यहाँ रमाबाई आंबेडकर मैदान में पार्टी की राष्ट्रीय सावधान विशाल महारैली कर लोकसभा चुनाव का शंखनाद कर दिया. अपने 58वें जन्मदिन के मौके पर मायावती ने कड़ाके की ठंड़ में यहां लाखों लोगों को लाकर अपना दबदबा तो दिखाया ही, उन्होंने अपने समर्थकों को कांग्रेस, सपा तथा भाजपा और मोदी की संकीर्ण राजनीति से आगाह रहने का निर्देश भी दिया.

फिर मायावती ने कांग्रेस भाजपा और सपा पर चौतरफा हमला करते हुए कहा कि बसपा के बढ़ते वर्चस्व को रोकने के लिए ये तीनों पार्टियों अंदरखाते एक हैं. सूबे की अखिलेश सरकार के कामकाज पर भी उन्होंने जमकर निशाना साधा. आप पार्टी के मुखिया केजरीवाल पर भी मायावती बरसी और कहा कि आप पार्टी नाटकबाजी कर रही है, इसके बहकावे में नहीं आना है. बसपा सुप्रीमों ने अपने संबोधन में कई बार यह स्पष्ट किया कि आगामी लोकसभा चुनावों में बसपा किसी भी पार्टी के साथ समझौता नहीं करेगी. उन्होंने बसपा समर्थकों से यह अपील की कि वह इन चुनावों में पार्टी को बैलेंस आफ पावर बनाने के पार्टी प्रत्याशियों को विजयी बनाने के लिए जीजान से जुट जाएं. किसी भी तरह के प्रचार से भ्रमित होकर अपने इस मकसद में सुस्ती ना लाएं. ताकि केंद्र की सत्ता पर बसपा का परचम लहरा सके.

अपने समर्थकों से यह अपील करते हुए मायावती ने दलितों और ब्राह्मणों के साथ अगड़ी जातियों को समझाया और चेताया भी. मायावती ने कहा, अब वह गलती नहीं करना जो विधान सभा चुनाव में कर चुकी हैं. हम हर जाति के लोगों को सत्ता में हिस्सेदारी देंगे. ब्राह्मणों को यह भी समझाया कि बसपा में किसी का कद नहीं कम किया गया है जैसा मीडिया में पिछली बार प्रचार किया गया था. पार्टी की इस बड़ी रैली के बावजूद बीते विधान सभा चुनाव में जीत का समीकरण न बन पाने की हताशा आज भी मायावती के भाषण में दिख रही थी पर उनमें दलित और अगड़ी जातियों को लेकर आशा भी नजर आ रही थी. अगड़ी जातियों के साथ ही मुसलिम मतदाताओं को भी पास लाने की कोशिश मायावती ने की. जिसके तहत मायावती ने नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और कहा मोदी इस देश का प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं, जबकि गुजरात में उनके शासनकाल में हुए दंगे से देश हिल गया था. मायावती ने यह भी कहा कि मोदी लुभावने वायदे कर रहे जनता को भ्रमित कर रहे हैं. मोदी के गुजरात में हर तीसरा बच्चा कुपोषण का शिकार है और मोदी देश के विकास का सपना दिखा रहे हैं. मायावती के अनुसार मोदी अपने देश की सर्वोच्च कुर्सी पर बैठकर राष्ट्रीय व धर्मनिरपेक्षता की भावना से पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ काम नहीं कर सकते.

मायावती के करीब डेढ़ घंटे के भाषण से बुधवार को फिर यह साफ हो गया कि वह देश का प्रधामंत्री बनने का सपना देख रही हैं. अपने इस सपने को पूरा करने के लिए मायावती ने दलित समाज को एकजुट होकर सर्वसमाज को बसपा की विचारधारा से जोड़ने की बात फिर कही. यह भी खुलासा भी मायावती ने किया कि 2003-06 तक पार्टी संकट में थी और 2003 में सीटों के बंटवारे को लेकर भाजपा के साथ गठबंधन टूटा था, क्योंकि 2004 के चुनाव में गठबंधन के नाम पर भाजपा प्रदेश की 80 में से 60 सीटें चाहती थी. मायावती ने कहा कि मैं भाजपा की इस मांग के खिलाफ थी, क्योंकि इससे बसपा के अस्तित्व पर संकट आ जाता. मैं स्वाभिमानी लड़की हूं, इसलिए मैं उनकी मांग पर नहीं झुकी और आगे भी किसी भी दल के साथ मिलकर वह चुनाव नहीं लडूंगी.

सपा सरकार पर हमलावर

सपा सरकार पर हमला बोलते हुए मायावती ने कहा कि यूपी अब क्राइम प्रदेश बन चुका है. हर स्तर पर भ्रष्टाचार फैला हुआ है. सांप्रादायिक दंगों से प्रदेश त्रस्त है. मुजफ्फरनगर और शामली के लोग अभी भी दंगे के भय से उबरे नहीं है. मायावती ने कहा कि यूपी में केंद्र सरकार को राष्ट्रपति शासन लगाना चाहिए.

केंद्र सरकार पर निशाना

केंद्र सरकार को निशाना बनाते हुए माया ने कहा कि विदेश नीति में ढुलमुल रवैये से हमारे लोगों को मुश्किल हो रही है. गलत आर्थिक नीतियों के चलते कट्टरपंथियों और सांप्रादायिक ताकत मजबूत हो रही हैं.

केजरीवाल पर भी बरसीं

आम आदमी पार्टी के मुद्दे पर मायावती ने कहा कि ये पार्टी नाटकबाजी कर रही है. दिखावा करके ज्यादा दिन काम नहीं चलेगा. दिल्ली में केजरीवाल जी की जो सरकार चल रही है, उसमें दलितों को आम आदमी की संज्ञा देकर उनकी उपेक्षा कर रहे हैं. केजरीवाल जहां के रहने वाले हैं, वहां के दलितों को मजबूर होकर दूसरे जगह शरण लेनी पड़ती है. चाहे आम आदमी की पार्टी हो, चाहे कोई भी हो, दलित वर्ग के किसी आदमी को अपनी सरकार में शामिल कर राजनैतिक रोटियां तो सेंकी जा सकती है, लेकिन ऐसी सरकार ज्यादा दिन तक नहीं चल सकती. एक दिन का जनता दरबार औऱ फिर मेल के जरिए शिकायत सुनने से निवारण नहीं हो सकता है. सरकारी मशीनरी की व्यवस्था ठीक करनी होगी.

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