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मुस्लिम नेताओं पर दर्ज मुकदमें होंगे वापस

।।राजेन्द्र कुमार।। लखनऊः अखिलेश सरकार अब मुजफ्फरनगर के दंगे को लेकर बैकफुट पर नहीं खेलेगी, बल्कि फ्रंटफुट पर आकर खुल कर मुस्लिम वोटबैंक का दांव चलेगी. इसके तहत मुजफ्फरनगर के कवाल कांड के बाद शहीद चौक पर हुई सभा में भड़काऊ भाषण देने के आरोपी नेताओं पर दर्ज मुकदमों को अखिलेश सरकार वापस लेगी. इसं […]

।।राजेन्द्र कुमार।।

लखनऊः अखिलेश सरकार अब मुजफ्फरनगर के दंगे को लेकर बैकफुट पर नहीं खेलेगी, बल्कि फ्रंटफुट पर आकर खुल कर मुस्लिम वोटबैंक का दांव चलेगी. इसके तहत मुजफ्फरनगर के कवाल कांड के बाद शहीद चौक पर हुई सभा में भड़काऊ भाषण देने के आरोपी नेताओं पर दर्ज मुकदमों को अखिलेश सरकार वापस लेगी. इसं संबंध में जल्दी ही निर्णय लिया जाएगा. राज्य के कारागार मंत्री राजेंद्र चौधरी रविवार को यह संकेत दिया है.

राजेन्द्र चौधरी का कहना है कि मुजफ्फरनगर के दंगे में जो अल्पसंख्यक निर्दोष होगा, उसके खिलाफ दर्ज मुकदमें को सरकार वापस लेगी. सूत्रों के अनुसार देश और प्रदेश में मुजफ्फरनगर कांड को लेकर कांग्रेस, भाजपा, बसपा, रालोद और राजद तक अखिलेश सरकार को घेरने में जुटी है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह, कैबिनेट मंत्री अजित सिंह और राजद प्रमुख लालू यादव तक मुजफ्फरनगर के दंगा पीडितों से मिलने आ चुके हैं. इन सभी ने गोलमोल तरीके से मुजफ्फरनगर के दंगे को लेकर अखिलेश सरकार पर निशाना साधा और कहा कि अखिलेश सरकार राहत कैंपों में रह रहे शरणार्थियों का ध्यान रखे. इनमें से किसी ने भी दंगा पीडि़तों को कोई आर्थिक मदद नहीं दी बल्कि राहत शिविरों में आर्थिक मदद लेने के बाद भी रह रहे शरणार्थियों को वहां जमे रहने का संकेत किया. विपक्षी दलों की इस राजनीति को भांपते हुए सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने यूपी के काबीना मंत्री राजेंद्र चौधरी जो सपा के प्रवक्ता भी हैं से रविवार को दंगे में आरोपी बनाए गए अल्पसंख्यकों के मुकदमें वापस लेने का बयान दिलवाया है. इसके पूर्व शासन के निर्देश पर मुजफ्फरनगर के डीएम कौशल राज शर्मा ने यह कहा था कि विभिन्न दलों के नेता राहत शिविर छोड़ने वाले शरणार्थियों से शामली और अन्य जगहों पर यहां वहां तंबू लगवा रहे हैं, ताकि राजनीतिक माहौल को गरमाया जा सके.

सूत्रों के अनुसार इस तरह के बयान दिलवाने के साथ ही अखिलेश सरकार ने मुजफ्फरनगर के दंगे में आरोपी बनाए गए मुस्लिम नेताओं और युवकों के मुकदम वापस लेने की कवायद शुरू की. जिसके तहत शासन ने मुजफ्फरनगर प्रशासन से इस मामले में विभिन्न बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी है. कहा जा रहा है कि मुजफ्फरनगर प्रशासन अब 27 अगस्त 2013 को कवाल गांव में छेड़छाड़ के प्रकरण तथा इस घटना के बाद शाहनवाज और मलिकपुरा निवासी सचिन तथा गौरव की हुई हत्या और उसके बाद 30 अगस्त को शहीद चौक पर हुई सभा में मुस्लिम नेताओं द्वारा भड़काऊ भाषण देने में आरोपी बनाए गए लोगों के बारे में शासन को जानकारी देगा. इनमें से किन-किन मुस्लिम नेताओं और युवकों के मुकदमें वापस लिए जाएं, इस बारे में भी मेरठ के आईजी जोन आशुतोष पाण्डेय तथा मुजफ्फरनगर के डीएम और पुलिस कप्तान की राय ली जाएगी.

सूत्रों का कहना है कि 20 से अधिक मुस्लिम नेताओं और करीब 40 मुस्लिम युवकों के ऊपर दर्ज मुकदमों को मेरठ और मुजफ्फरनगर के आला अफसरों ने फर्जी बताया है. इनके ही मुकदमें वापस लेने की पहल जल्दी ही अखिलेश सरकार करके मुस्लिम समाज को उनका हितैषी होने का संदेश देगी. इन्हीं लोगों के मुकदमें वापल लेने को लेकर राजेन्द्र चौधरी ने यहां संकेत दिया है.

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