।।राजेन्द्र कुमार।।
लखनऊ:सूबे की कानून व्यवस्था को चाकचौबंद करने की खातिर पुलिस प्रशासन पर पकड़ बनाने में लगातार असफल हो रहे प्रमुख सचिव गृह आरएम श्रीवास्तव को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आखिर मंगलवार हटा ही दिया. अब एके गुप्ता को प्रमुख सचिव गृह बनाया गया है. एके गुप्ता सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव की पसंद हैं.
अभी वह राजस्व परिषद में तैनात थे. प्रमुख सचिव गृह का दायित्व संभालने के तत्काल बाद गुप्ता ने दावा किया है कि कानून की अनदेखी करने वालों के खिलाफ सख्ती करते हुए सूबे की कानून व्यवस्था को चाकचौबंद किया जायेगा. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चहेते अधिकारी माने जाने वाले आरएम श्रीवास्तव का बकरीद के एक दिन पहले अचानक हटाया जाना सूबे के नौकरशाहों को हैरत में डाल गया है. किसी को भी यह उम्मीद नहीं थी कि उन्हें इस तरह से मुख्यमंत्री हटायेंगे.
हालांकि अयोध्या में विहिप के संकल्प दिवस पर प्रतिबंध लगाने की कवायद के तहत सचिव गृह सर्वेश मिश्र द्वारा जारी किये गये पत्र को लेकर आरएम श्रीवास्तव के संकट में पड़ने की सुगबुगाहट जरूर हुई थी, पर इस मामले में सर्वेश मिश्र पर ही गाज गिरी और बिना पढ़े ही पत्र जारी करने के आरोप में सर्वेश मिश्र निलंबित कर दिए गए. इस मामले को लेकर अखिलेश सरकार की काफी किरकरी हुई. इसके पूर्व भी गृह विभाग की सुस्ती के चलते अखिलेश सरकार पर उंगली उठी. कहा गया गया कि बीते 18 महीनों में गृह विभाग की सुस्ती के चलते ही बड़े-छोटे करीब 80 सांप्रदायिक दंगे सूबे में हुए. 20 से अधिक थानों में उपद्नव कर रहे लोगों ने तोड़फोड़ की, एक डीएसपी सहित कई पुलिसकर्मियों की हत्या हुई और मुजफ्फरनगर जैसा भीषण दंगा भी अखिलेश सरकार को झेलना पड़ा क्योंकि गृह विभाग के मुखिया के रूप में आरएम श्रीवास्तव पुलिसतंत्र पर प्रभावी अंकुश नहीं लगा सके.
इन सभी घटनाओं और चर्चाओं का संज्ञान लेते हुए अखिलेश यादव ने मंगलवार की सुबह आरएम श्रीवास्तव को प्रमुख सचिव गृह के पद से हटाने का निर्णय ले लिया, हालांकि बीते वर्ष 15 मार्च को प्रमुख सचिव गृह के पद पर आरएम श्रीवास्तव को उन्होंने ने ही तैनात किया था. जबकि अरविंद सिंह देव को सपा प्रमुख मुलायम सिंह प्रमुख सचिव गृह बनाना चाहते थे लेकिन अखिलेश यादव के निर्णय पर वह चुप्पी साध गये. नये प्रमुख सचिव गृह एके गुप्ता भी सपा प्रमुख के चहेते हैं. सूबे की सत्ता पर काबिज होने के बाद मुख्यमंत्री ने उन्हें औद्योगिक विकास आयुक्त के पद पर तैनात किया था पर किसी मामले में नाराज होने पर कुछ माह पूर्व उन्हें इस पद से हटा दिया था. अब फिर 1979 बैच के इस वरिष्ठ अधिकारी पर अखिलेश यादव ने विश्वास जताया है और सूबे की कानून व्यवस्था को सुधारने दायित्व उन्हें सौंपा है.