लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानमंडल के मानसून सत्र के पहले दिन विधानसभा की कार्यवाही मुजफ्फरनगर में हाल में हुई सांप्रदायिक हिंसा और कानून-व्यवस्था को लेकर विपक्षी सदस्यों के शोरगुल और हंगामे के कारण प्रश्नकाल नहीं हो सका.
विधानसभा की कार्यवाही शुरु होते ही बहुजन समाज पार्टी (बसपा), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) और कांग्रेस के कई सदस्य नारेबाजी करते हुए हाथों में तख्ती लिए सदन के बीचोंबीच आ गये.
भाजपा सदस्य हाथों में असफलता सरकार की, दोषारोपण पंचायतों पर, बलात्कारियों को संरक्षण बंद करो, पंचायतों का उत्पीड़न बंद करो लिखी तख्तियां लिए हुए थे.
वहीं, अपहरण फिरौती, बलात्कार सपा का देखो जंगलराज, विहिप-सपा की पहले दावत कोसी परिक्रमा के बाद अदावत, विकास कार्य ठप है अखिलेश सरकार पस्त है, नारे लिखी टोपियां पहने बसपा सदस्य विरोध करते हुए कुर्सियों और मेजों पर खड़े हो गये. कांग्रेस सदस्यों ने भी लाशों की राजनीति बंद करो के नारे लगाये.
इसी शोरगुल के बीच संसदीय कार्य मंत्री आजम खां ने आरोप लगाया कि मुजफ्फरनगर में सुनियोजित साजिश के तहत सांप्रदायिक हिंसा की आग लगायी गयी. यही भाजपा है, जो अलगाववाद को बढ़ावा दे रही है और ये ही राजनीतिक दल हैं जिन्होंने दंगा कराया.
विधानसभाध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय ने हंगामा कर रहे सदस्यों से अपने-अपने स्थान पर जाने का आग्रह किया लेकिन हंगामा जारी रहने के मद्देनजर उन्होंने सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी.
सदन की कार्यवाही दोबारा शुरु होते ही विपक्षी सदस्यों ने दोबारा हंगामा शुरु कर दिया. शोरगुल थमते नहीं देख विधानसभाध्यक्ष ने कार्यवाही दोपहर 12 बजकर 20 मिनट तक के लिए स्थगित कर दी. इस तरह प्रश्नकाल नहीं हो सका.