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भूमि अधिग्रहण को लेकर किसानों को किया जा रहा है गुमराह : कलराज मिश्र

लखनऊ : भूमि अधिग्रहण विधेयक को लेकर चल रहे विवाद के बीच केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र ने आज दावा किया कि किसान विधेयक से सहमत हैं लेकिन कुछ लोग उन्हें गुमराह कर रहे हैं और दुष्प्रचार में लगे हैं. सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री मिश्र ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘किसान हमारी बात से […]

लखनऊ : भूमि अधिग्रहण विधेयक को लेकर चल रहे विवाद के बीच केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र ने आज दावा किया कि किसान विधेयक से सहमत हैं लेकिन कुछ लोग उन्हें गुमराह कर रहे हैं और दुष्प्रचार में लगे हैं. सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री मिश्र ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘किसान हमारी बात से सहमत हैं. उन्हें लोग गुमराह कर रहे हैं और दुष्प्रचार कर रहे हैं.’’ उनसे सवाल किया गया था कि भूमि अधिग्रहण विधेयक यदि इतना ही अच्छा है तो किसान उसका विरोध क्यों कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि यह कानून किसानों के लिए हितकारी होगा. उनकी आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, ‘‘लेकिन कांग्रेस और कुछ अन्य दल कुंठा से ग्रस्त हैं और किसानों के नाम पर सियासत कर रहे हैं.’’

मिश्र ने कहा कि यह महसूस होने के बाद कि उनके पास कोई मुद्दा नहीं बचा है, कांग्रेस और अन्य दल केंद्र सरकार की ओर से किसानों के लिए तैयार किए गए सकारात्मक कानूनी प्रारूप को लेकर आंदोलन पर उतारु हो गए हैं.उन्होंने स्पष्ट किया कि भूमि अधिग्रहण विधेयक 2013 के कानून का संशोधित रूप है. सन 1894 के बाद 2013 में भूमि अधिग्रहण कानून बना. इस बीच में सर्वाधिक शासन किसने किया, सबको पता है पर सर्वाधिक शासन करने वालों ने कानून में संशोधन की ओर ध्यान नहीं दिया.
कलराज मिश्र ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अध्यक्षता में 1999 में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में विधेयक का मसौदा पारित कराने की कोशिश की गयी थी. लेकिन उस समय सरकार में भाजपा के सहयोगी दलों ने विधेयक का विरोध किया था. उनका कहना था कि यह विधेयक सही नहीं है.
उन्होंने कहा कि 2013 का कानून अफरातफरी में बनाया गया था. भाजपा ने हालांकि उस समय इसका समर्थन किया था. बाद में कांग्रेस शासित राज्यों मसलन हरियाणा, महाराष्ट्र आदि के मुख्यमंत्रियों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा कि कानून अत्यंत जटिल है, इसका सरलीकरण होना चाहिए.
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने राज्यों के ग्रामीण विकास मंत्रियों की एक बैठक बुलायी. उसमें सभी ने कहा था कि विधेयक को सरल बनाया जाना चाहिए क्योंकि मौजूदा प्रारूपमें इस कानून से ना तो किसान को लाभ होगा और ना ही विकास कार्य हो सकेंगे. इसीलिए हम संशोधित विधेयक लाये ताकि पुराने कानून की कमियों को दूर किया जा सके और ग्रामीण बुनियादी ढांचे का विकास किया जा सके.मिश्र ने कहा कि 2013 के कानून में 13 परियोजनाएं ऐसी थीं जिन्हें रियायत दी गयी थी लेकिन संशोधित विधेयक में सरकार ने उन 13 परियोजनाओं को शामिल किया है और अब इन परियोजनाओं के लिए अधिगृहीत भूमि पर भी बाजार दर का चार गुना मुआवजा दिया जाएगा.

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