लखनउ: मुस्लिम धर्मगुरुओं और विद्वानों ने भारत में धार्मिक सहिष्णुता को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के चर्चित बयान को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी पार्टी के लिये ‘आंखें खोलने वाला’ बताते हुए कहा है कि मोदी को नफरत भरे बयानों के जरिये सरकार के ‘सबका साथ, सबका विकास’ के नारे को आग लगा रहे तत्वों पर लगाम कसनी चाहिये.
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के महासचिव मौलाना निजामुद्दीन ने ‘भाषा’ से बातचीत में कहा कि ओबामा ने कोई नई बात नहीं कही है, लेकिन इतना जरुर है कि यह अमेरिकी राष्ट्रपति की आवभगत करके फूली नहीं समा रही मोदी सरकार के लिये आंखें खोलने वाली है.
उन्होंने कहा कि ओबामा के बयान के बाद मोदी को अपने मुल्क के हालात पर गौर करना चाहिये. हिन्दुस्तान में मुसलमानों के खिलाफ ही नहीं बल्कि इसाइयों के विरुद्ध भी मुहिम चलायी जा रही है. यह कोई छुपी बात नहीं है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस बात पर गौर करना चाहिये कि उनकी पार्टी के बडे-बडे नेता नफरत फैलाने वाली बातें कर रहे हैं.
निजामुद्दीन ने कहा ‘‘जितने भी संजीदा पढे-लिखे लोग हैं वो यह कहते हैं कि तरक्की हमेशा अमन और इंसाफ के साथ ही हो सकती है. यह तभी होगा जब साम्प्रदायिक भावनाओं को भडकाने की कोशिश नहीं होगी. किसी शख्स को किसी खास वर्ग के बारे में कुछ भी फुजूल बात करने की आजादी नहीं दी जानी चाहिये.’’ उन्होंने कहा ‘‘ओबामा एक पैगाम दे गये हैं. आपकी (मोदी सरकार) सारी मेहमाननवाजी पर मुग्ध होने के बजाय उन्होंने आपकी कमजोरी और गलती पर चोट की. वह एक लाइन में सबका जवाब दे गये।’’ विश्वविख्यात इस्लामी शोध संस्थान ‘दारुल मुसन्निफीन शिबली एकेडमी’ के निदेशक प्रोफेसर इश्तियाक अहमद जिल्ली ने ओबामा के बयान पर कहा कि मोदी के अपने लोग ही ‘सबका साथ, सबका विकास’ के उनके नारे को आग लगा रहे हैं. मोदी उन पर लगाम क्यों नहीं लगाते.