-राजेन्द्र कुमार-
लखनऊ: अपने तौर तरीकों को लेकर कई बार चर्चा में आ चुके उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने अब अखिलेश सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं. खास तौर से राज्य में आईएएस और आईपीएस अफसरों के बार-बार और आए दिन होने वाले तबादलों को लेकर. राज्यपाल अफसरों के आए दिन होने वाले तबादलों से नाखुश हैं और उन्होंने इस मामले में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से सीधे बात करने का निर्णय लिया है. चर्चा यह भी है कि यदि मुख्यमंत्री ने उनकी सलाह को गंभीरता से नहीं लिया तो राम नाईक नौकरशाहों के तबादलों को लेकर केंद्र सरकार से हस्तक्षेप करने का आग्रह करेंगे, जैसा कि मायावती सरकार में राज्यपाल रहे टीवी राजेस्वर ने किया था.
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सौ से अधिक आईपीएस अफसरों का तबादला हाल ही में किया था. यही नहीं उन्होंने पंचम तल पर तैनात प्रमुख सचिव राकेश बहादुर और प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास संजीव सरन को भी एक झटके में हटाया था. कई अन्य आईएएस अफसरों के विभागों में फेरबदल भी मुख्यमंत्री ने किया था. मात्र चार पांच दिनों के ही अंतराल में तमाम आईएएस और आईपीएस अफसरों का हटाया जाना राज्यपाल राम नाईक को अखरा. उन्होंने इस मामले में अधिकारियों से पूछताछ की तो उन्हें मालूम हुआ कि यूपी में आईएएस और आईपीएस अफसरों का तबादला करना कोई नई बात नहीं है. आए दिन बिना किसी नियम कायदे के कानून व्यवस्था को बेहतर करने के नाम पर अफसरों के तबादले किए जाते हैं. जिसके चलते ही अखिलेश यादव अपने तीन साल के शासन में छह डीजीपी बदल चुके हैं. इसी प्रकार प्रमुख सचिव गृह के पद पर छह और प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास के पद पर पांच अधिकारियों की तैनाती उन्होंने की है. फिर भी ना तो यूपी की कानून व्यवस्था बेहतर हुई और ना ही राज्य में कोई बड़ा औद्योगिक निवेश ही आया. फिर भी हर साल तीन सौ आईपीएस और करीब दो सौ आईएएस अफसरों का तबादला यूपी की कानून व्यवस्था को सुधारने और राज्य को विकास के रास्ते पर ले जाने के नाम पर हो रहा है.
अधिकारियों से मिली इस जानकारी के आधार पर राज्यपाल राम नाईक ने बड़ी संख्या में आईएएस व आईपीएस अधिकारियों के तबादले पर सवाल खड़ा किया. उन्होंने एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान बड़ी संख्या में हुए अफसरों के तबादलों पर कहा कि सूबे में महज अफसरों के तबादले से ही कानून व्यवस्था नहीं सुधरेगी. इसके लिए पुलिस और प्रशासनिक अफसरों को भी पूरे मनोयोग से काम करना होगा. सभी में आपसी तालमेल व बेहतर समन्वय हो तभी राज्य की बिगड़ी कानून व्यवस्था में सुधार किया जा सकता है. सूबे की कानून व्यवस्था में सुधार के लिए वह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से बात करेंगे.
वास्तव में बड़ी संख्या में अफसरों का तबादला करने संबंधी प्रदेश सरकार की नीति राज्यपाल को रास नहीं आयी है. वह चाहते हैं कि सरकार अधिकारियों को काम करने का पूरा मौका दे और जो अधिकारी जिम्मेदारी का बोझ ना उठा पाए उसे हटाया जाए. यह नहीं कि किसी अधिकारी को एक जिले से हटाकर दूसरे जिले में डीएम या पुलिस कप्तान बना दिया जाए. राज्यपाल चाहते हैं कि अफसरों के निलंबन को बहुत आसानी से एक औजार के रूप में उपयोग करने वाले उप्र जैसे राज्य के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अखिल भारतीय सेवाओं के तहत अफसरों के निलंबन संबंधी मिले अधिकार का उपयोग संयम से करे क्योंकि यदि अधिकारियों की तैनाती व निलंबन संबंधी अधिकार का इसी तरह से बात-बेबात उपयोग किया जाता रहेगा तो केंद्र उसे वापस भी ले सकता है. ऐसी स्थिति का सामना उत्तर प्रदेश को ना करना पड़े अब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को यह समझाने का प्रयास राज्यपाल राम नाईक करेंगे.