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विधानसभा में विपक्ष का हंगामा सोमवार तक सदन स्थगित

।।राजेन्द्र कुमार।। लखनऊः विधानमंडल के शीतकालीन सत्र का पहला दिन विपक्ष के जोरदार हंगामे की भेंट चढ़ गया. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के सदस्यों ने सदन में यूपी की खराब कानून व्यवस्था और गन्ना मूल्य को लेकर अखिलेश सरकार को घेरा. शोरशराबा और नारेबाजी की तो विधानसभा […]

।।राजेन्द्र कुमार।।

लखनऊः विधानमंडल के शीतकालीन सत्र का पहला दिन विपक्ष के जोरदार हंगामे की भेंट चढ़ गया. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के सदस्यों ने सदन में यूपी की खराब कानून व्यवस्था और गन्ना मूल्य को लेकर अखिलेश सरकार को घेरा.

शोरशराबा और नारेबाजी की तो विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने दो बार सदन की कार्यवाही स्थगित की. फिर भी विपक्षी सदस्यों ने शोरशराबा और हंगामा करना बंद नहीं किया. ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष ने सदन को सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया.
आगामी 21 नवंबर तक चलने वाले विधानसभा सत्र के पहले दिन शुक्रवार को विपक्ष द्वारा अखिलेश सरकार को घेरने की उम्मीद सभी को दी. जैसे ही सुबह सदन की कार्यवाही शुरू हुई बसपा सदस्यों ने कानून-व्यवस्था के मामले पर सदन में नारेबाजी शुरू कर दी. भाजपा, कांग्रेस तथा राष्ट्रीय लोकदल के सदस्यों ने भी इनका साथ दिया.
फिर भाजपा के सदस्य सदन में ही अखिलेश सरकार पर किसानों को कम गन्ना मूल्य देने का आरोप लगाते हुए धरने पर बैठ गये. सदन का माहौल गरमाता देख विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने सत्र को पहले तो आधा घंटा के लिए स्थगित कर दिया. इसके बाद जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई बसपा सदस्यों ने बहिर्गमन कर दिया और भाजपा तथा अन्य पार्टियों के सदस्य अंदर ही धरने पर बैठ गये. तो विधानसभा सध्यक्ष ने सदन को सोमवार तक के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी.
अब सोमवार को भी विपक्षी दल सदन में हंगामा करने के मूड़ में है. संपूर्ण विपक्ष अखिलेश सरकार को कानून-व्यवस्था, गन्ना मूल्य, विद्युत दर बढ़ोतरी, धान खरीद व किसान उत्पीड़न आदि मसलों पर घेरने के लिए कमर कसे है. ऐसे में सोमवार को भी सदन में हंगामा होगा पर अखिलेश सरकार को इसकी चिंता नहीं है.
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कहते हैं कि विपक्ष सलीके से सदन में अपनी बात कहे. सरकार विपक्ष के हर आरोप का जवाब देने को तैयार है. मुख्यमंत्री ने काग्रेस सदस्यों द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की स्मृति में सदन का कार्य स्थगित करने संबंधी कांग्रेस सदस्यों की मांग पर यह कहा.
गत गुरूवार को काग्रेस विधानमंडल के दल नेता प्रदीप माथुर ने 14 नवंबर को पंडित नेहरू की 125वीं जयंती समारोह पर सत्र आरम्भ कराने पर एतराज कराया था. जिस पर संसदीय कार्यमंत्री आजम खा ने यह कहा था कि कांग्रेस सदस्यों को अपनी आपत्ति राज्यपाल को प्रस्तुत की जानी चाहिए क्योंकि सदन तो उनके ही आदेशों पर ही शुरू होता है.
इसके बाद भी शुक्रवार को कांग्रेस सदस्यों ने सदन में यह मसला उठाया और हंगामा किया. तो सदन में सत्ता पक्ष के सदस्यों ने इस मामले में काग्रेस की आपत्ति देरी से आने का सवाल उठाया. फिर संसदीय कार्यमंत्री आजम खा ने विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच 17 नवंबर को अनुपूरक बजट प्रस्तुत करने की बात कहीं और उसी के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी.
आजम खां ने कहा, विपक्ष के नहीं चाहता सदन चले
उत्तर प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री आजम खां ने प्रतिपक्षी दलों खासकर भाजपा पर विधानसभा में बेवजह हंगामा करके सदन की कार्यवाही में बाधा डालने का आरोप लगाया है.
शीतकालीन सत्र के आज पहले दिन कानून व्यवस्था तथा किसानों के मुद्दे को लेकर विपक्षी दलों हंगामे के कारण घंटे भर में ही सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिये जाने के बाद आजम ने संवाद्दाताओं से कहा, ‘‘विपक्षी दल सदन की कार्यवाही को चलने नहीं देना चाह रहे.’’
आजम ने सदन में भाजपा सदस्यों के धरने पर बैठ जाने की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘भाजपा एक तरफ तो सरकार पर सदन की कार्यवाही कम दिनों तक चलाने का आरोप लगाती है, जबकि हकीकत यह है कि सदन में सबसे ज्यादा अव्यवस्था भाजपा के सदस्य ही पैदा करते हैं…चाहे सदन हो या सदन के बाहर भाजपा के लोग माहौल बिगाडने में लगे रहते हैं.’’
संसदीय कार्य मंत्री ने गन्ना का समर्थन मूल्य नहीं बढाये जाने पर विपक्षी दलों के विरोध पर कहा, ‘‘मिलों के दबाव में आने का आरोप गलत है. हमारी नीति किसानों के साथ ही उनका भी हित देखने की है, जिनसे किसानों को फायदा होता है.
सरकार ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहती जिससे किसानों को नुकसान हो.’’ सदन में बसपा और प्रतिपक्ष के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने इससे पहले कहा कि सपा राज में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो गयी है, यह पहली प्रदेश सरकार है जिसने लगातार तीन साल तक गन्ने के समर्थन मूल्य में कोई बढोत्तरी नहीं की और सदन में इन सवालों पर बात भी नहीं करना चाहती.

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