।।राजेन्द्र कुमार।। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) बीते कई सालों से हर डेढ़ वर्ष में एक बड़ी रैली आयोजित करती है़ जिसमें पांच से दस लाख लोग शामिल होते हैं पर कहीं कोई अप्रिय घटना नहीं घटती. वही देश में हर वर्ष धर्म स्थलों पर मचने वाली भगदड़ में सैंकड़ों मासूम लोगों को जान गंवानी पड़ […]
।।राजेन्द्र कुमार।।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) बीते कई सालों से हर डेढ़ वर्ष में एक बड़ी रैली आयोजित करती है़ जिसमें पांच से दस लाख लोग शामिल होते हैं पर कहीं कोई अप्रिय घटना नहीं घटती. वही देश में हर वर्ष धर्म स्थलों पर मचने वाली भगदड़ में सैंकड़ों मासूम लोगों को जान गंवानी पड़ रही है, फिर भी सरकारों के स्तर से क्राउड मैनेजमेंट की पुख्ता व्यवस्था नहीं की जा पा रही है. शुक्रवार को भी पटना में सरकार की इसी लापरवाही के चलते तमाम मासूमों का अपनी जान गंवानी पड़ी.
जिसे लेकर यूपी के तेजतर्रार डीजीपी रहे यशपाल सिंह कहते हैं कि धार्मिक आयोजनों में होने वाली भगदड़ पर अंकुश करने के लिए राज्य सरकारों को बसपा के क्राउड मैनेजमेंट प्लान को अपनाना चाहिए क्योंकि क्राउड मैनेजमेंट को लेकर बसपा की व्यवस्था सरकारी इंतजामों पर भारी पड़ी दिख रही है.
यूपी के पूर्व डीजीपी यशपाल सिंह बसपा की विचार धारा से प्रभावित होकर ऐसा नहीं कह रहे है. बल्कि बसपा द्वारा यूपी में की गई तमाम बड़ी-बड़ी रैलियों के क्राउड मैनेजमेंट के आधार पर उनकी यह राय है. यशपाल सिंह के अनुसार बसपा की महारैली में देशभर से लाखों लोग जुटते और फिर वह सही-सलामत अपने घरों तक पहुंच जाते हैं. बसपा समर्थकों के साथ अपने घर से रैली स्थल तक आने के दौरान न कहीं लूट-पाट होती है और न कोई छोटा या बड़ा हादसा.
शहर में भी लाखों बसपा समर्थकों के पहुंचने पर व्यवस्था चरमराती नहीं है. जबकि कई राज्यों की सरकारें और पुलिस मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे तीस से चालीस हजार लोगों को संभाल नहीं पाते, वहीं बसपा के वालिंटिवर रैली में पहुंचे दस से पन्द्रह लाख लोगों को आसानी से संभाल लेते हैं. बसपा की रैलियों में पहुंची लाखों की भीड़ को नियंत्रित करने का यह कार्य बहुजन वालिंटियर फोर्स की देखरेख में होता है.
तीन दशक पहले 1984 में बसपा के संस्थापक कांशीराम ने बहुजन वालिंटियर फोर्स (बीवीएफ) भी स्थापित की थी. दलित वर्ग के शिक्षित से लेकर अनपढ़ युवाओं की यह फौज पार्टी को पूरी तरह समर्पित है. बसपा सुप्रीमो मायावती बीवीएफ पर खुद ध्यान देती हैं. इस फोर्स में पुरुषों के साथ महिलाएं भी हैं.
बूथ स्तर तक बीवीएफ जवानों का नेटवर्क है. यूपी की हर विधानसभा क्षेत्र में बसपा की इस फोर्स के लगभग 60 जवान हैं. पार्टी की रैलियों में आने वाली सभी बसों में इस फोर्स के एक-दो जवान बसपा समर्थकों के साथ होते हैं. बीवीएफ के इन्हीं जवानों के जिम्मे सभी को रैली में लाने के बाद वापस बस से घर तक छोड़ने की जिम्मेदारी रही है. जबकि ट्रेन द्वारा आने वाले बसपा समर्थकों को रेलवे स्टेशन से रैली स्थल तक ले जाने के लिए अलग से बीवीएफ के जवान लगाए जाते हैं.
रैली स्थल को भी कई भागों में बांट कर यह वालिंटियर बसपा समर्थकों को बैठाते हैं और मायावती के संबोधन के बाद ये वालिटियर तय योजना के अपनी देखरेख में मैदान में बैठे बसपा समर्थकों को रैली स्थल के बाहर लाते हैं. रैली मे आए लोगों की बस कहां खड़ी है और उनकी ट्रेन कब जाएगी इसकी जानकारी भी यही वालिंटियर बसपा समर्थकों को समय से दे देते हैं ताकि कोई भी हड़बड़ी ना दिखाए.
बसपा के ऐसे ही इंतजामों के चलते सितंबर 2002 के बाद से पार्टी को अप्रिय हादसे का शिकार नहीं होना पड़ा. सितंबर 2002 में पार्टी की रैली के बाद वापस लौट रहे बसपा समर्थक चारबाग रेलवे स्टेशन पर भडदड़ का शिकार हो गए थे. 21 बसपा समर्थकों की जान भगदड़ में गई थी. जिसे बाद मायावती ने पार्टी के क्राउड मैनेजमेंट का प्लान तैयार किया और अपनी हर रैली में उसे कड़ाई से लागू किया. बसपा के इस क्राउड मैनेजमेंट प्लान की जानने वाले कुछ आईपीएस अफसरों की सलाह पर आईपीएस अधिकारी अरूण कुमार ने कुंभ मेले के दौरान यूपी मायावती के इस प्लान को अपनाकर मेले में आए करोड़ों लोगों को संभाला था. यशपाल सिंह कहते हैं कि धार्मिक आयोजनों में आयी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बसपा का क्राउड मैनेजमेंट बेहतर है और इसे यूपी सहित हर राज्य को जानना चाहिए ताकि धार्मिक आयोजनों में होने वाली भगदड़ को रोका जा सके.