।।राजेन्द्र कुमार।। लखनऊः सूबे के राज्यपाल राम नाईक और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के आपसी रिश्तों में तल्खी आने लगी है. राज्यपाल का अखिलेश सरकार के कामकाज पर नजर रखना मुख्यमंत्री और सपा के बड़े नेताओं को पसंद नहीं आ रहा है. यह जानते हुए भी राम नाईक ने यूपी की कानून व्यवस्था पर गहरी चिंता […]
।।राजेन्द्र कुमार।।
लखनऊः सूबे के राज्यपाल राम नाईक और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के आपसी रिश्तों में तल्खी आने लगी है. राज्यपाल का अखिलेश सरकार के कामकाज पर नजर रखना मुख्यमंत्री और सपा के बड़े नेताओं को पसंद नहीं आ रहा है. यह जानते हुए भी राम नाईक ने यूपी की कानून व्यवस्था पर गहरी चिंता जता दी. एक सार्वजनिक कार्यक्रम में उन्होंने ये कह दिया कि प्रदेश में गुंडागर्दी और हत्या जैसे अपराध दिनों दिन बढ़ते जा रहे हैं, जिन्हें लेकर खुद उन्होंने कई बार प्रदेश सरकार को चेताया. फिर भी सूबे की अखिलेश सरकार ऐसी वारदात पर रोक नहीं लग पा रही है. यही नहीं केंद्र से पैसा मिलने के बावजूद राज्य सरकार विकास कार्यों को भी पूरा नहीं करा पा रही है.
प्रदेश सरकार के कामकाज को लेकर राज्यपाल राम नाईक की यह राय मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अखर गई है. इसी के चलते राज्यपाल के कथन के तत्काल बाद सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने अखिलेश सरकार के कामकाज को बेहतर बताया. फिर राजेन्द्र चौधरी ने कहा है कि यूपी में कानून व्यवस्था बिगाड़ने का काम भाजपा के लोग करते हैं. बीते ढाई साल के दौरान भाजपा के लोगों ने ही सूबे के कई जिलों में माहौल खराब करने का प्रयास किया और प्रदेश सरकार ऐसा करने वालों से कड़ाई से पेश आयी. राज्यपाल और अखिलेश सरकार के बीच हुए इस आरोप प्रत्यारोप पर लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे डा. रमेश दीक्षित अचंभित नहीं होते. वह कहते कि अब राजभवन और अखिलेश सरकार के बीच आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला जारी रहेगा क्योंकि दोनों ही अलग-अलग विचारधाराओं के हैं.
डा. रमेश दीक्षित के इस तर्क से तमाम राजनीतिक विशेषज्ञ भी सहमत हैं. इन विशेषज्ञों के अनुसार राम नाईक के राज्यपाल बनाए जाने की घोषणा होते ही यह अनुमान लगाया जाने लगा था कि अब राजभवन और प्रदेश सरकार के रिश्तों में तल्खी जरूर आएगी. इसकी वजह राम नाईक की सक्रियता को बताया गया था. कहा गया कि राम नाईन अपने को सिर्फ राजभवन के भीतर सीमित नहीं रखेंगे, जैसा की बीएल जोशी और अन्य राज्यपालों ने किया था. बल्कि यूपी के तमाम जिलों में जाकर वह लोगों से मिलेंगे. तौ उनसे मिलने वाले तमाम लोग सरकार के कामकाज की खामियों को बताएंगे और जब उन शिकायतों या खामियों को दूर करने के लिए राम नाईक सक्रिय होंगे तो वह सरकार को अखरेगा.
रविवार को वृंदावन में यही सब हुआ. वहां एक निजी संस्था के द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के लिए जब राज्यपाल राम नाईक पहुंचे तो उनसे कई लोगों ने सूबे की कानून व्यवस्था खराब होने और पुलिस की भूमिका को लेकर नाराजगी जतायी. तो राज्यपाल ने प्रदेश की कानून-व्यवस्था ठीक ना होने पर सहमति जता दी. फिर कहा कि यूपी में आधारभूत ढांचे की भी कमी है. इस वजह से केंद्र सरकार से पैसा मिलने के बावजूद राज्य सरकार विकास कार्यों को पूरा नहीं करा पा रही है. दूसरी ओर, गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे राज्य मोदी फॉर्म्यूले पर काम करते हुए अपने राज्यों में कृषि विकास दर को 12 से 22 प्रतिशत तक की ऊंचाई पर ले जाने में कामयाब हुए हैं. इसलिए मुख्यमंत्री को इस मामले में ध्यान देने की जरूरत है. यूपी के बिजली संकट पर भी राज्यपाल ने कहा इसका भी समाधान निकल सकता है. मैंने केंद्रीय ऊर्जा एवं कोयला मंत्री पीयूष गोयल से बात की थी. उनका कहना है कि हम यूपी को बिजली देने के लिए तैयार हैं, लेकिन सरकार बात ही नहीं करना चाहती.
राज्यपाल के इस कथन पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कोई प्रतिक्रिया अभी तक व्यक्त नहीं है. कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री इस मामले को ठंड़ा करने में जुट गए हैं. ताकि जनता के बीच राज्यपाल से उनकी सरकार के रिश्तों में आयी तल्खी का संदेश ना जाए. जिसके तहत ही सपा प्रवक्ता से पहले बयान जारी कराया गया. फिर कई सपा नेताओं के जरिए यह कहा गया कि प्रदेश भाजपा के उन नेताओं को खुश करने के लिए राज्यपाल ने अखिलेश सरकार के कामकाज पर सवाल खड़े किए हैं जिन्होंने यूपी की खराब कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए राज्यपाल को ज्ञापन दिया था.
फिलहाल जो भी हो अब राजभवन और अखिलेश सरकार के रिश्तों में तल्खी आ गई है. राज्यपाल राम नाईक ने अब यह संकेत कर दिया है कि वह सूबे की अखिलेश सरकार के कामकाज को लेकर आंखे बंद नहीं रखेंगे, वही अखिलेश सरकार की तरफ से भी यह जताया गया है कि वह राजभवन के आरोपों पर अपना पक्ष भी तत्काल रखेंगे.