नयी दिल्ली : फलस्तीन के गाजा में इस्राइली हमलों के बीच लोग किस कदर दहशत में जी रहे हैं उसके गवाह लखनऊ के अब्दुल रहमान भी हैं. वह कहते हैं कि वहां दहशत का आलम इतना ज्यादा है कि लोग मुअज्निन की अजान की आवाज सुनने के बाद नहीं, बल्कि धमाकों के आवाज के बीच इफ्तार करने को मजबूर हैं.
रहमान ने कहा, हमारे आसपास बम गिर रहे थे. रॉकेट दागे जा रहे थे. विस्फोट की आवाज सुनना और देखना रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गया था. यहां तक कि हमारे रोजे की शुरुआत और अंत भी धमाकों के बीच होता था.
* पत्नी और बेटे को जिंदा लौट आने का यकीन नहीं
रहमान की पत्नी और इकलौटे बेटे शाहरुख के लिए अब भी यह यकीन कर पाना मुश्किल हो रहा है कि वह जिंदा हैं और सुरक्षित अपने घर लौट आए हैं. रहमान उन चार भारतीय नागरिकों में शामिल थे जिन्हें रमल्ला स्थिति भारत के प्रतिनिधि कार्यालय की मदद से गाजा से सुरक्षित बाहर निकला गया. वह गाजा में पिछले दो साल से काम कर रहे थे.
उन्होंने कहा, मैं अब भी सिहर उठता हूं. मैंने देखा कि लोग बम धमाकों में मारे गए. सड़कों पर क्षत-विक्षत शव पड़े हुए थे और लोग आश्रय स्थलों की ओर भाग रहे थे. बीते रविवार को चार भारतीय नागरिकों को गाजा पट्टी से निकाला गया है. उस दिन हुए भीषण संघर्ष में 97 फलस्तीनी और 13 इस्र्राइली सैनिक मारे गए थे. बीते 8 जुलाई को आरंभ हुए इस्राइली सेना के अभियान में मरने वाले फलस्तीनियों की संख्या करीब एक हजार हो गई है.