।।राजेन्द्र कुमार।।
लखनऊः जातीय गठजोड़ के आधार पर देश और प्रदेश में राजनीति करने वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को अब जनता की सुध आयी है. जिसके चलते सोमवार को बसपा नेताओं ने सूबे की विधानसभा के सामने यूपी की खराब कानून व्यवस्था को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान बढ़ती महंगाई पर अंकुश ना लगा पाने के लिए बसपा नेताओं ने केंद्र सरकार की भी आलोचना की और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का पुतला फूंका.
बसपा के राष्ट्रीय महासचिव नसीमुददीन सिद्दीकी के नेतृत्व में ढ़ाई साल बाद बसपा के करीब पांच हजार कार्यकर्ता पार्टी का झंडा बैनर लेकर सोमवार को सड़कों पर उतरे. ढ़ाई साल पहले बसपा सुप्रीमों मायावती की मूर्ति तोड़े जाने की हुई घटना को लेकर भी बसपा नेताओं ने इसी तरह का विरोध प्रदर्शन किया था. परन्तु तब जहां बसपा के नेताओं और कार्यकर्ताओ में जोश था, वहीं सोमवार को हुए विरोध में वह जोश नदारत था. परिणाम स्वरूप चंद घंटों के भीतर ही बसपा नेताओं ने अखिलेश सरकार की खराब कानून व्यवस्था को लेकर किया गया विरोध प्रदर्शन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का पुतला जलाने के बाद समाप्त कर दिया. इस दौरान पुसिलकर्मियों से किसी बसपा नेता या कार्यकर्ता का कोई टकराव नहीं हुआ.
कुछ घंटों तक जरूर विधानसभा के सामने जाम लगा रहा और इस दौरान नसीमुददीन सिददीकी तथा आरके चौधरी ने अखिलेश सरकार पर निशाना साधा. आरके चौधरी ने यूपी की खराब कानून व्यवस्था के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को जिम्मेदार बताया और कहा कि मुख्यमंत्री की पकड़ पुलिस और प्रशासन पर खत्म हो चुकी है. सपा के कार्यकर्ता दबंगई कर रहे हैं और सूबे की पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है. जिसका असर यूपी की कानून व्यवस्था पर पड़ रहा है और देश के बड़े उद्योगपति यूपी में निवेश करने से घबराने लगे हैं. नसीमुददीन सिददीकी ने बढ़ती महंगाई के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि नरेन्द्र मोदी की सरकार ने एक महीने के अपने शासन में महंगाई को बढ़ा दिया है. बसपा इसके विरोध में है.
यूपी सरकार को लेकर नसीमुददीन ने कहा कि अखिलेश सरकार उत्तर प्रदेश को सौ साल पीछे ले जा रही है. अखिलेश के राज में कानून का नहीं गुंडाराज चल रहा है. रोज सैकड़ों महिला तथा बच्चियों की अस्मत से खिलवाड़ कर उनको मौत के घाट उतारा जा रहा है. अखिलेश सरकार ने प्रदेश का बेड़ा गर्क कर दिया है. बसपा के इस विरोध प्रदर्शन को सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने फ्लाप बताया है. चौधरी के अनुसार बसपा के विरोध प्रदर्शन से जनता की भागेदारी नहीं थी, सिर्फ बसपा के पदाधिकारी और चंद नेता ही सडकों पर उतरे. बसपा सुप्रीमों मायावती और सतीश चन्द्र जैसे नेताओं ने पार्टी के इस विरोध प्रदर्शन से अपने को दूर रखा. चौधरी के इस कथन पर बसपा के प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर ने कोई टिप्पणी नहीं की. उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा कि पार्टी का यह विरोध प्रदर्शन केन्द्र की भाजपा और राज्य की सपा सरकारों के खिलाफ था. और आगे भी पार्टी जनता की समस्याओं को लेकर ऐसे ही विरोध जताएगी.