।।राजेन्द्र कुमार।।
लखनऊः सूबे की अखिलेश सरकार का समय आजकल ठीक नहीं चल रहा है. बीते एक माह के दौरान अखिलेश सरकार को सबसे पहले लोकसभा में करारी हार का सामना करना पड़ा, फिर दुराचार की सूबे में हुई कई घटनाओं को लेकर देश भर में अखिलेश सरकार की बदनामी हुई और अब सीपीएमटी का पर्चा लीक हो गया. परिणामस्वरूप एक लाख से अधिक छात्रों को रविवार की सुबह परीक्षा केंद्रों से वापस लौटना पड़ा.
यह परीक्षा अब 20 जुलाई को होगी. और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पर्चा लीक होने के प्रकरण की जांच के लिए उच्चस्तरीय समिति गठित करने के आदेश दिए हैं. फिलहाल सूबे के विपक्षी नेता मुख्यमंत्री की उक्त कार्रवाई से संतुष्ठ नहीं है और अब वह सोमवार को विधानसभा में इस मामले को लेकर सरकार को घेरेंगे, हंगामा करेंगे.
गौरतलब है कि रविवार को यूपी कम्बाइंड प्री मेडिकल टेस्ट (यूपी सीपीएमटी) की परीक्षा राज्य के 213 सेंटरों पर होनी थी. इसमें कुल एक लाख नौ हजार 291 स्टूडेंट्स एग्जाम देने वाले थे. लखनऊ के 43 एग्जाम सेंटरों पर 25 हजार स्टूडेंट्स एग्जाम देने पहुंचे थे. इसी प्रकार सूबे के अन्य जिलों में बनाए गए परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा देने के लिए छात्र पहुंचे, पर गाजियाबाद में परीक्षा का पर्चा लीक होने की सूचना पर परीक्षा निरस्त कर दी गई. किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज (केजीएमयू) की देखरेख में यह परीक्षा हो रही थी.
केजीएमयू के कुलपति प्रोफेसर रविकांत ने अनुसार गाजियाबाद के इलाहाबाद बैंक में जिस बॉक्स में पेपर रखे गए थे, उसमें छेड़छाड़ की गई. इसकी सूचना वहां के डीएम ने दी गई और परीक्षा निरस्त कर गाजियाबाद कोतवाली में पेपर लीक मामले में एफआईआर दर्ज कराई गई है. केजीएमयू के नोडल अधिकारी सुशील कुमार ने सार्वजनिक परीक्षा नकल अधिनियम के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई है. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को इसकी जानकारी दी गई. तो उन्होंने मुख्य सचिव आलोक रंजन को इस प्रकरण की जांच के लिए उच्चस्तरीय समिति गठित करने का निर्देश दिया. इसी के बाद एसटीएफ की एक टीम ने गाजियाबाद मामले की जांच शुरू कर दी है.
सीएम के एक्शन से विपक्ष असंतुष्ट
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की इस कार्रवाई से विपक्षी दल संतुष्ठ नहीं है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने इस मामले की जांच एसटीएफ से कराने को राजनीति से प्रेरित बताया हैं. वह कहते हैं कि पेपर लीक कराने वालों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है. जिन्हें एसटीएफ बचाने का काम करेगी इसलिए इसकी जांच सीबीआई से कराई जाए.
वाजपेयी ने जानना चाहा कि आखिर वो कौन से कारण थे और किसके आदेश से बिना सीसीटीवी लगे बैंकों के स्ट्रांग रूम में पेपर रखे गये. वाजपेयी ने कहा कि वे इस मामले को विधानसभा में भी उठाएंगे और प्रदेश सरकार से मांग करेंगे कि 20 जुलाई को परीक्षा के दिन छात्रों के आने जाने और भोजन का खर्च राज्य सरकार वहन करे और दोषियों से इसकी वसूली की जाए. विधानसभा में नेता विरोधीदल स्वामी प्रसाद मौर्या ने कहा कि ऐसे महत्वपूर्ण प्रश्रपत्रों को ट्रेजरी के स्ट्रांग रूम में रखे जाने की परंपरा और नियम हैं.
जिन लोगों ने इसे वहां रखवाने में भूमिका निभाई हो उसकी जांच कर उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. निर्मल खत्री ने कहा कि इस प्रक्रिया में शामिल रजिस्ट्रारए परीक्षा नियंत्रक व अन्य कर्मचारियों एंव अधिकारियों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए. अन्यथा यूपी में जड़े जमा चुके नकल माफिया पर अंकुश नहीं लगाया जा सकेगा.