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बदायूं ­गैंगरेप:यूपी का राजनीतिक माहौल गरमाया

-राजेंद्र कुमार- लखनऊ : उत्तर प्रदेश में बदायूं ­जिले के गांव कटरा सआदतगंज में दो नाबालिग बहनों के साथ हुए बलात्कार और उसके बाद उनकी हत्या कर उनका शव पेड़ पर लटकाने की वारदात को लेकर सूबे की राजनीति गरमा गई है. कांग्रेस, भाजपा और बसपा के प्रमुख नेताओं ने इस घटना को लेकर सूबे […]

-राजेंद्र कुमार-

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में बदायूं ­जिले के गांव कटरा सआदतगंज में दो नाबालिग बहनों के साथ हुए बलात्कार और उसके बाद उनकी हत्या कर उनका शव पेड़ पर लटकाने की वारदात को लेकर सूबे की राजनीति गरमा गई है. कांग्रेस, भाजपा और बसपा के प्रमुख नेताओं ने इस घटना को लेकर सूबे की अखिलेश सरकार पर हमला बोला है.

बसपा प्रमुख मायावती ने केंद्र सरकार से इस घटना की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है. इसके साथ ही उन्होंने सूबे के राज्यपाल बीएल जोशी से आग्रह किया है कि वह यूपी की खराब कानून व्यवस्था को देखते हुए केन्द्र सरकार से यहां राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करें.रविवार को पीडित परिवार से मिलने मायावती उनके घर जायेंगी.

वही दूसरी तरफ कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी बदायूं घटित इस घिनौनी वारदात का ब्यौरा पार्टी नेताओं से लिया है. कहा जा रहा है कि राहुल गांधी बदायूं जाएंगे. केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी प्रदेश सरकार से इस घटना की रिपोर्ट मांगी है. राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम की इस मामले की जांच के लिए कटरा सआदतगंज पहुंच रही है.

विपक्षी नेताओं के ऐसे चौरफा हमले से बैकफुट पर आए मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह ने शुक्रवार को सूबे के डीजीपी और प्रमुख सचिव से इस घटना की जानकारी ली और उक्त घटना को एक नजीर मानते हुए फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलाकर घटना के दोषियों को सजा दिलाने का निर्देश दिया. मुख्यमंत्री ने प्रभावित बालिकाओं के परिवार को समुचित सुरक्षा मुहैय्या कराने तथा उनके परिवारीजनों को 05-05 लाख रुपये की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिए.

मुख्यमंत्री की इस कार्रवाई के बाद भी बसपा प्रमुख मायावती के तेवर नरम नहीं हुए और उन्होंने प्रेस कांफ्रेस बुलाकर अखिलेश सरकार को नकारा बताया. मायावती ने कहा कि यूपी में कानून का राज पूरी तरह से खत्म हो गया है. लोकसभा चुनाव खत्म होते ही यूपी के हर जिले में आपराधिक घटनाओं की बाढ़ सी आ गई है.

यूपी की कानून व्यवस्था दयनीय हालत में पहुंच चुकी है. ऐसे में राज्यपाल को प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश केंद्र से करनी चाहिए. बीते दो वर्षो के दौरान मायावती 20 बार यूपी में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर चुकी है. शुक्रवार को फिर उन्होंने यह मांग कर दी. मायावती ने बिजली संकट पर भी अंकुश ना लगा पाने के लिए अखिलेश सरकार की आलोचना की और आरोप लगाया कि अखिलेश सरकार बिजली आपूर्ति को लेकर जनता के साथ भेदभाव कर रही है.

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