कन्नौज : समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव की बहू और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी होने के बावजूद कन्नौज से सपा उम्मीदवार डिंपल यादव को अपने परिवार की साख पर नहीं बल्कि विकास के काम पर जीत का भरोसा है और उनका मानना है कि राजनीतिक घराने से ताल्लुक रखने के मायने यह नहीं है कि उन्होंने काम नहीं किया.
चुनावी मैदान में डिंपल का पदार्पण निराशाजनक रहा था जब वह 2009 में फिरोजाबाद में राज बब्बर से हार गई थी. फिर 2012 में वह कन्नौज से निर्विरोध चुनी गई. यह सीट उनके पति अखिलेश के उप्र विधान परिषद में जाने से खाली हुई थी. इस बार उनका मुकाबला भाजपा के सुब्रत पाठक से है लेकिन उन्हें यकीन है कि ‘तथाकथित’ मोदी लहर का असर उनके मतदाताओं पर नहीं होगा. इस सीट के लिए कल मतदान होना है.
उन्होंने कहा ,‘‘ मुझे इस बार जीत का पूरा यकीन है क्योंकि हमने असल में विकास करके दिखाया है जो भाजपा शासित प्रदेशों में कहीं नजर नहीं आता. विकास अहम मसला है जो हमने किया है जबकि मोदी सिर्फ इसके दावे करते हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मोदी लहर कुछ और नहीं बल्कि मार्केटिंग शिगूफा है. हमारे वोटर हमारे साथ है क्योंकि पिछले दस साल से हमने यहां काम किया है.
कन्नौज इत्र की नगरी है और हमने इत्र बनाने वाले कारीगरों के लिये लाभदायक नीतियां बनाई है. हमने यहां मेडिकल, इंजीनियरिंग, पोलीटेक्नीक कालेज और तीन स्टेडियम बनाये. ऐसा विकास भाजपा शासित राज्यों में नजर नहीं आता.’’ वंशवाद की राजनीति के आरोपों पर उन्होंने कहा कि एक राजनीतिक घराने से ताल्लुक रखने का मतलब यह नहीं कि उन्होंने मेहनत नहीं की.