लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को लोकसभा चुनाव न लड पाने का मलाल है. अखिलेश ने आज यहां पार्टी कार्यालय पर बसपा सांसद सुरेन्द्र नागर और उनके समर्थकों को पार्टी में शामिल करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि अब कब लोकसभा जा पायेंगे पता नहीं, यह मौका तो चूक गये. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2000 में पार्टी मुखिया और पिता मुलायम सिंह यादव के इस्तीफे से खाली कन्नौज लोकसभा सीट से उपचुनाव जीत कर अपनी राजनीतिक यात्रा शुरु करने वाले अखिलेष मार्च 2012 में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बन जाने तक लगातार तीन बार लोकसभा का सदस्य रह चुके है.
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें लोकसभा चुनाव नहीं लड पाने का सचमुच मलाल है, अखिलेश ने कहा, ‘कोई क्षेत्र हो तो लड जायेंगे, पर छुडवाओगे क्या (मुख्यमंत्री पद या लोकसभा सीट).’ उन्होंने इसी क्रम में कहा, ‘‘आप लोगों (मीडिया) को संविधान में ऐसा संशोधन करवाना चाहिए कि कोई व्यक्ति एक साथ मुख्यमंत्री और सांसद का दायित्व निभा सके.’’ इससे पूर्व, उन्होंने भाजपा पर निशाना साधा और कहा कि उसका ग्राफ नीचे की ओर है. अखिलेश ने कहा, ‘उन्होंने :भाजपा: ने अपना अभियान गुजरात के विकास माडल के प्रचार के साथ शुरु किया मगर उत्तर प्रदेश तक पहुंचते पहुंचते साम्प्रदायिक एजेंडे पर आ गये.’
यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी पार्टी वाराणसी में सभी दलों से एकजुट होकर नरेन्द्र मोदी के विरुद्घ चुनाव लडने की अपील करेगी, अखिलेश ने कहा कि हमने मोदी के खिलाफ अपना उम्मीदवार उतारा है. उन्होंने कहा, ‘दो सीटों (रायबरेली और अमेठी) को छोडकर हम प्रदेश की सभी सीटो पर चुनाव लड रहे है हम एक धर्मनिरपेक्ष दल है अगर कोई चाहे तो हमारा समर्थन कर सकता है.’ बसपा और कांग्रेस पर हमलावर होते हुए अखिलेश ने कहा कि बसपा ऐसा दल है जो चुनाव घोषणा पत्र जारी करने में भरोसा नहीं रखता, जबकि कांग्रेस की गलत नीतियों के कारण आज देश की जनता में घोर निराशा व्याप्त है.