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मशीन से डोभा खोदने पर होगी कार्रवाई : बीडीओ

प्रखंड कार्यालय योजनाओं की समीक्षा करते बीडीओ व अन्य. अास्था से भी जुड़ा है पनसुवां डैम सोनुवा: दिसंबर-जनवरी में पनसुवां डैम पर लगता है पर्यटकों का मेला चक्रधरपुर : सोनुवा प्रखंड मुख्यालय से पश्चिम दिशा में लगभग 11 किलोमीटर दूर स्थित है पनसुवां डैम. प्रत्येक वर्ष यहां हजारों लोग गोईलकेरा, सोनुवा, चक्रधरपुर, चाईबासा, जगन्नाथपुर, जमशेदपुर, […]

प्रखंड कार्यालय योजनाओं की समीक्षा करते बीडीओ व अन्य.

अास्था से भी जुड़ा है पनसुवां डैम
सोनुवा: दिसंबर-जनवरी में पनसुवां डैम पर लगता है पर्यटकों का मेला
चक्रधरपुर : सोनुवा प्रखंड मुख्यालय से पश्चिम दिशा में लगभग 11 किलोमीटर दूर स्थित है पनसुवां डैम. प्रत्येक वर्ष यहां हजारों लोग गोईलकेरा, सोनुवा, चक्रधरपुर, चाईबासा, जगन्नाथपुर, जमशेदपुर, झींकपानी, सरायकेला, खरसावां आदि स्थानों से पिकनिक मनाने के लिए जुटते हैं. डैम अब पूरी तरह बन कर तैयार है. यहां का जलस्तर काफी ऊपर है. दिसंबर व जनवरी में यहां काफी संख्या में लोग उमड़ते हैं.
कैसे पहुंचे पनसुवां डैम : सोनुवा रेलवे स्टेशन व बस स्टैंड से उतर कर, पश्चिम दिशा में लगभग 11 किली मीटर की दूरी तय कर डैम पहुंचा जा सकता है. इसके लिए सोनुवा से छोटी गाड़ियां भी प्रत्येक दिन आना-जाना करती है. हावड़ा-मुंबई मार्ग पर स्थित सोनुवा रेलवे स्टेशन डैम से नजदीक है.
नौका बिहार का ले सकते है आनंद :सैलानियों को आनंद के लिए गांव के ग्रामीण मोटे- मोटे पेड़ों को तराश कर नौका का रूप देकर डैम में चलाते हैं. इसकी क्षमता एक साथ 8 से 10 लोगों की होती है. इसके एवज में सैलानियों की और से उन्हें कुछ रुपये भी दिये जाते हैं. इससे ग्रामीणों की भी चांदी रहती है. हालांकि इस नौका बिहार को प्रशासनिक स्वीकृति नहीं मिली है. लेकिन इसी नाव के सहारे आसपास के सैकड़ों ग्रामीण अपना जीवन यापन करते है.
डैम पर बच्चों का रखे ध्यान :डैम का निर्माण पूरा हो जाने से यहां पानी की गहराई बढ़ गयी है. इससे छोटे-छोटे बच्चों को संभाल कर रखे.नहीं तो अप्रिय घटना घट सकती है.
मछलियां अटखेलियां भी करती है:डैम में सूबह के समय यहां की मछलियां पानी में इधर उधर विचरण करती है. उनकी इसी अटखेलियों को भी देखने के लिए लोग सुबह डैम पहुंचते है.
डैम बीच में स्थित है राजा-रानी पेड़:डैम के बीचों-बीच राजा-रानी नामक दो पेड़ है. जो आज तक सही सलामत है. कहा जाता है इस पेड़ की कहानियां को पोड़ाहाट के राजा वीर शहीद अर्जुन सिंह से जोड़ा जाता है. इसके कारण इन दोनों पेड़ों का नामा राजा-रानी दिया गया है. डैम के भीतर सारे पेड़ पानी से नष्ट हो गये हैं, लेकिन यह दो पेड़ सूखे होने के बावजूद भी आज डैम के अंदर जस के तस खड़े हैं. ग्रामीण आज भी इन पेड़ों का उपयोग डैम में पानी के जलस्तर को मापने के लिए करते हैं. डैम के दक्षिणी छोर पर स्थित मां पाउड़ी का मंदिर लोगों के आस्था का केंद्र है, जो सैलानियों को आकर्षित करता है. लोग पिकनिक के पूर्व दर्शन के लिए मां पाउंड़ी के दरबार पहुंचते हैं. कहा जाता है कि यहां से मांगी गयी हर मुराद पूरी होती है. पूर्व में यह मंदिर डैम के बीचों बीच स्थित थी. इसका निर्माण पोड़ाहाट के राजा द्वारा किया गया था. डैम के निरीक्षण के समय इस मंदिर को डैम के उपर दक्षिणी छोर पर बनाया गया है. यहां जाने के लिए डैम के मुख्य मार्ग से संपर्क सड़क निर्माण किया गया है.

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