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हो-संताली के विद्यार्थी अपनी अपनी लिपि में करेंगे पढ़ाई

कुलपपति डॉ आरपीपी सिंह ने दी स्वीकृति, सिंडिकेट में होगा पारित चाईबासा : कोल्हान विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से क्षेत्रीय भाषा को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है. क्षेत्रीय भाषा हो तथा संताली के विद्यार्थी अब अपने-अपने लिपि में ही पढ़ाई करेंगे. हो के विद्यार्थी वारंगक्षिति तथा संताली के विद्यार्थी ओलचिकी लिपि में स्नातक […]

कुलपपति डॉ आरपीपी सिंह ने दी स्वीकृति, सिंडिकेट में होगा पारित

चाईबासा : कोल्हान विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से क्षेत्रीय भाषा को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है. क्षेत्रीय भाषा हो तथा संताली के विद्यार्थी अब अपने-अपने लिपि में ही पढ़ाई करेंगे. हो के विद्यार्थी वारंगक्षिति तथा संताली के विद्यार्थी ओलचिकी लिपि में स्नातक व स्नातोकोत्तर की पढ़ाई करेंगे. कुलपति डॉ आरपीपी सिंह ने एक कमेटी बनाकर लिपि तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी थी. जिसमें टीआरएल विभागाध्यक्ष डॉ कारू माझी को अध्यक्ष बनाया गया था.
जबकि हो तथा संथाली भाषा के बुद्धिजीवियों को सदस्य बनाया गया. कमेटी ने वारंगक्षिति व ओलचिकी लिपि में पुस्तक तैयार कर कुलपति को सौंपा. पुस्तक को कुलपति ने स्वीकृत कर विमोचन किया. आगामी सिंडिकेट की बैठक में पुस्तक को पारित किया जायेगा. जिसके बाद कोल्हान विवि के हो तथा संताली के विद्यार्थी अपनी-अपनी लिपि में ही पढ़ाई कर सकेंगे.
परीक्षा में अपनी लिपि से लिख सकते हैं विद्यार्थी. हो व संताली के विद्यार्थी अपनी लिपि से परीक्षा में सवालों का जवाब लिख सकते हैं. अगले सत्र से विवि प्रशासन की ओर से यह सुविधा रखी जायेगी. फिलहाल विद्यार्थी अपने लिपि के तहत पढ़ाई करते रहेंगे. हो व संथाली भाषा के बुद्धिजीवी की ओर से लंबे समय से स्नातक व स्नातोकोत्तर में अपने लिपि से पढ़ाई आरंभ करने की मांग की जा रही थी.
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