प्रांतीय प्रधानाचार्य सम्मेलन में दी गयी सीख
चाईबासा : समाज की नैतिक और चारित्रिक पतन का कारण शिक्षा से धर्म को अलग करना है. उक्त बातें अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान विद्या भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री यतींद्र शर्मा ने कहीं. वे चाईबासा में पद्मावती सरस्वती शिशु विद्या मंदिर परिसर स्थित माधव सभागार में सोमवार की शाम प्राचार्यो के चतुर्दिवसीय प्रांतीय प्रधानाचार्य सम्मेलन में कही.
समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने विद्या भारती के शैक्षणिक उद्देश्यों पर प्रकाश डाला. कहा कि राष्ट्र के विकास हेतु बालकों का सर्वागीण विकास व तेजस्वी बालकों का निर्माण ही हमारा लक्ष्य है. उन्होंने कहा कि हम दूसरों को उपदेश देने वाले न बनें बल्कि स्वयं आदर्श स्थापित करें. हमे स्वामी विवेकानंद के सपनों का भारत बनाना है.
सामाजिक असमानता को दूर कर समरस समाज का निर्माण करना हमारा लक्ष्य है. इसके लिये चरित्र निर्माण, छुआछूत की समाप्ति व व्यक्ति को व्यक्ति से प्रेम हो ऐसा हृदय परिवर्तन करना अतिआवश्यक है.
इसके लिये विद्यालय में कार्ययोजना बनायी जानी चाहिए. मौके पर सचिव मुकेश नंदन ने कहा कि शिक्षा का मूल उद्देश्य व्यक्ति निर्माण है. और यह चरित्र के द्वारा ही संभव है. कथनी और करनी में एकरूपता लाकर ही हम विकास कर सकते है. अखिलेश्वर सिन्हा ने भी कार्यक्रम में विचार रखे, मंच संचालन अखिलेश कुमार ने किया.