तीनों दिन कॉलेज के छात्रों की मांगों पर आधिकारिक ऑथोरिटी वार्ता के लिए नहीं पहुंचे
चाईबासा : सोमवार का दिन-रात, मंगलवार की सुबह या नौ जनवरी. ये तीनों दिन आंदोलनकारी इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों के लिए व्यर्थ गये. तीनों दिन छात्रों की मांग पर अधिकारिक ऑथोरिटी वार्ता के लिए नहीं आये.
नौ जनवरी को डीसी, एसपी के समक्ष परीक्षा नियंत्रक गंगा प्रसाद सिंह ने छात्रों की मांग पूरी करने का लिखित आश्वासन दिया था.
हालांकि उस समय परीक्षा नियंत्रक ने वीसी के समक्ष ही छात्रों की मांगों को रखने की बात कही थी. उस समय ही ये स्पष्ट हो गया था कि छात्रों के दबाव तथा देर रात आंदोलन में डटे रहने के कारण लिखित आश्वासन दिया गया था. छात्रों नौ जनवरी को भी वीसी को मौके पर आने की मांग कर रहे थे, जबकि वीसी उस दिन मुख्यालय से बाहर गये थे.
उस दिन भी बात उठी थी कि कॉलेज प्रशासन ने छात्रों के साथ वार्ता करने में देर कर दी थी. इस कारण मामला आगे बढ़ गया. वार्ता हुई, लेकिन रात के दो बजे, लेकिन सोमवार की रात छात्र पूरी तैयारी में आये थे और निर्णय लेने वाले अधिकारिक ऑथोरिटी वीसी भी चाईबासा में ही थे. छात्र रात-भर वीसी को मौके पर बुलाने की रट लगा रहे थे, लेकिन, वीसी मौके पर नहीं आये, तब जाकर छात्रों ने वीसी के आवास का घेराव किया.
हद तब और पार हो गयी जब छात्रों से वीसी अपने आवास में रह कर भी नहीं मिलने आये और छात्रों को जबरन अपने आवास से हटवा दिया.
थाना प्रभारी ने समझाया
आयुक्त का आवास घेरने आये छात्रों को पुलिस ने अपने स्तर पर समझाने की कोशिश की. मुफस्सिल थाने के प्रभारी श्याम बिहारी माझी ने देर तक छात्रों से बात की व समझाया. छात्रों के हित को लेकर उन्होंने सुझाव भी दिये.
नहीं बन पायी सहमति
मांगों पर बात करने के लिए आयुक्त ने 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल से वार्ता करने की सहमति जतायी थी, देर रात तक छात्रों के बीच प्रतिनिधिमंडल को लेकर सहमति नहीं बन पायी थी. छात्रों की मांग थी कि कुलपति धरना स्थल पर आयें. मंगलवार सुबह छात्र वार्ता के लिए आयुक्त आवास पहुंच गये.
छात्र संगठन का समर्थन
केयू के आइडीएसओ छात्र संगठन ने इस आंदोलन को समर्थन दिया है. छात्र इस बात से भी दुखी हैं कि उनके इस आंदोलन को कोई निष्कर्ष नहीं निकला. वापस लौटे छात्रों ने कहा कि वे तो जा रहे हैं, लेकिन आगामी सेमिस्टर के छात्र या वे खुद फिर इस आंदोलन की अलख मांग पूरी होने तक जला कर रखेंगे.
विवि प्रशासन छात्रों के आंदोलन से नहीं, उनके द्वारा अपनाये गये तरीके से खुद को क्षुब्ध बता रहा है. छात्रों के अनुसार आंदोलन का निष्कर्ष नियमित वीसी के आ जाने पर ही निकलेगा.