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प्रशासन ने एसीसी प्रबंधन से लीज के कागजात मांगे
झींकपानी : एसीसी की ओर से कोंदोवा क्षेत्र में खनन को लेकर ग्रामीण रैयतों से विवाद चल रहा है. इसे सुलझाने का प्रशासनिक प्रयास शुरू हो गया है. प्रशासनिक जांच समिति के सदर चाईबासा के अमीन अरुण कुमार साहू व राजस्व कर्मचारी टोंटो ने एसीसी के पदाधिकारियों व रैयतों के साथ शुक्रवार को एसीसी गेस्ट […]
झींकपानी : एसीसी की ओर से कोंदोवा क्षेत्र में खनन को लेकर ग्रामीण रैयतों से विवाद चल रहा है. इसे सुलझाने का प्रशासनिक प्रयास शुरू हो गया है. प्रशासनिक जांच समिति के सदर चाईबासा के अमीन अरुण कुमार साहू व राजस्व कर्मचारी टोंटो ने एसीसी के पदाधिकारियों व रैयतों के साथ शुक्रवार को एसीसी गेस्ट हाउस में बैठक की. इसमें पदाधिकारियों व रैयतों ने अपना-अपना पक्ष रखा. जांच टीम ने कंपनी को लीज संबंधित दस्तावेज सौंपने को कहा. इसकी रिपोर्ट सदर चाईबासा अमीन समिति के अध्यक्ष अनुमंडल पदाधिकारी के समक्ष रखेंगे. ग्रामीणों के विरोध के कारण बीते फरवरी से कंपनी व रैयतों के बीच विवाद चल रहा है.
जांच कमेटी के समक्ष कंपनी ने कहा कि एसीसी ने 1961 में सरकार से जमीन लीज पर ली है. वर्ष 2030 तक लीज है. लीज जमीन पर कंपनी खनन कर रही है. दूसरी ओर रैयतों ने कहा कि कंपनी ने अगर 1961 में जमीन लीज पर लिया है, तो 1964 के सर्वे सेटलमेंट में जमीन उनके नाम पर कैसे बताया जा रहा है. इसकी मालगुजारी रैयत अब भी देते हैं. उक्त जमीन पर सड़क निर्माण के दौरान सरकार से रैयतों को मुआवजा मिला है. ग्रामीणों ने कहा कि कंपनी जमीन लीज संबंधित रिकॉर्ड सार्वजनिक करे. ग्रामीणों ने कहा कि कंपनी रैयती जमीन पर जबरन खनन कर रही है.
बैठक में एसीसी की ओर से राजंका लाइम स्टोन खदान के जीएम संजीव त्रिपाठी, वरीय प्रबंधक एचआरए वीपी वैस, वाइ कुमार, प्रमोद सिंह, राजन सिंह शामिल थे. ग्रामीणों की ओर से जिप सदस्य रोबिन हांसदा, टोंटो प्रमुख मंगल तुबिद, कोंदोवा के ग्रामीण मुंडा मुकेश हेस्सा, शशिभूषण हेस्सा, तुराम बिरूली, विद्या गोडसोरा, वीरबल होनहागा सहित अन्य ग्रामीण व रैयत उपस्थित थे.
कंपनी से नक्शा सहित जरूरी दस्तावेज मांगे गये हैं. कंपनी वर्ष 1961 से लीज का दावा कर रही है. 1964 में हुये सर्वे सेटलमेंट पर उत्पन्न विसंगतियां विवाद का कारण बन गया है. रैयतों ने कंपनी के दावे से संबंधित कागजात मांगे है. विवाद का जल्द निबटारा के लिये रिपोर्ट समिति को सौपेंगे. कागजात की जांच के बाद जरूरत पड़ने पर जमीन की मापी होगी.
– अरुण कुमार साहू, अमीन, सदर चाईबासा
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