जांच में आठ ग्राम खून पाया गया. मंगलवार की रात 10 बजे के करीब कांती देवी की स्थित को देखते हुए डॉ ओलोंपिया केरकेट्टा को बुलाया गया. डॉ ओलोंपिया केरकेट्टा ने 10 बजे से ही कांती देवी का इलाज शुरू किया. रात 11 बजे के करीब कांती देवी काे मरा हुआ बच्चा पैदा हुआ. डिलेवरी होने के बाद कांती देवी को घबराहट होने लगी. इसी दौरान वह बेहोश हो गयी और 11.45 बजे के करीब कांती देवी की भी मौत हो गयी. मौत के बाद शव सुबह परिजनों को सौंप दिया गया.
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सदर अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही फिर उजागर, जच्चा-बच्चा की मौत के बाद हंगामा
सिमडेगा: सदर अस्पताल में मंगलवार रात लगभग 11.45 बजे जच्चा-बच्चा की मौत हो गयी. घटना को लेकर बुधवार अहले सुबह मृतका का शव लेने आये परिजनों ने अस्पताल परिसर में हंगामा किया. घटना के संबंध में मिली जानकारी के सिकरियाटांड़ निवासी जगतनारायण सिंह की बेटी कांती देवी की शादी जलडेगा के तिलाईजारा में एक वर्ष […]
सिमडेगा: सदर अस्पताल में मंगलवार रात लगभग 11.45 बजे जच्चा-बच्चा की मौत हो गयी. घटना को लेकर बुधवार अहले सुबह मृतका का शव लेने आये परिजनों ने अस्पताल परिसर में हंगामा किया. घटना के संबंध में मिली जानकारी के सिकरियाटांड़ निवासी जगतनारायण सिंह की बेटी कांती देवी की शादी जलडेगा के तिलाईजारा में एक वर्ष पूर्व हुई थी. गर्भवती कांती देवी को प्रसव के लिये शनिवार की रात सदर अस्पताल लाया गया. इस दौरान कांती देवी के स्वास्थ्य की जांच की गयी.
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही
गर्भवती माता की देख-रेख तथा उसके इलाज के लिए सरकार करोड़ो रुपये खर्च कर रही है. गर्भवती महिला का मातृ – शिशु स्वास्थ्य कार्ड बना कर लगातार जांच किया जाता है तथा उसे दवाईयां दी जाती है. किंतु कांती देवी के साथ ऐसा नहीं हुआ. कांती के गर्भवती होने के बाद कार्ड नहीं बना. उसे कभी भी कैलशियम या आयरन को गोली नहीं दी गयी. कांती को अगर गर्भवती होने के समय से ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी जाने वाली सुविधा व दवाईयां दी जाती, तो शायद कांती देवी भी आज जिंदा होती तथा उसके गोद में बच्चा भी किलकारी मार रहा होता. परिजनों का कहना है कि तिलाईजारा में कांती का मातृ- शिशु कार्ड कैसे नहीं बना यह जांच का विषय है. जांच में लापरवाह स्वास्थ्यकर्मी सहित अन्य दोषी पर कार्रवाई होनी चाहिए.
परिजनों का हंगामा
जच्चा-बच्चा की मौत के बाद बुधवार अहले सुबह शव लेने के लिए आये परिजनों ने अस्पताल परिसर में हंगामा किया. परिजनों का कहना था कि स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण ही जच्चा-बच्चा की मौत हुई है. परिजनों ने कहा कि तीन दिन से भर्ती रहने के बाद भी अगर चिकित्सकों को कुछ समझ में नहीं आ रहा था तो उसे रेफर क्यों नहीं किया गया.
घटना से दुखी है डॉ ओलोंपिया
कांती देवी के डिलेवरी के समय डॉ ओलोंपिया ड्यिूटी पर थीं. रात 10 बजे से ही वह कांती देवी के पास थी. डिलेवरी 11 बजे रात को हो गयी. डॉ ओलोंपिया केरकेट्टा ने बताया कि डिलेवरी में कांती देवी काे मरा हुआ बच्चा पैदा हुआ था. इसके कांती देवी की हालत बिगड़ने लगी. उसे घबराहट होने लगी. इसी क्रम में वह बेहोश हो गयी. 11.45 बजे के करीब उसकी मौत हो गयी. डॉ ओलोंपिया केरकेट्टा ने बताया कि कांती देवी के पास कोई मातृ- शिशु कार्ड नहीं था. इलाज के क्रम में कांती देवी ने उसे स्वयं बताया था कि उसके गर्भवती होने के बाद कभी भी उसकी जांच नहीं हुई. कभी भी आयरन या कैलशिम की गोली नहीं मिली. किसी प्रकार का कोई टीका भी नहीं लगा था. डॉ आलोंपिया ने बताया कि कांती देवी के शरीर में आठ ग्राम खून था. उसके निधन से वह बहुत दु:खी है.
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